मीरा जैन
उज्जैन(मध्यप्रदेश)
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सौम्या- ‘दादी जी ! स्कूल को देर हो रही है, मेरा टिफिन भी डाल दीजिए।’
समर- ‘दादाजी ! मेरे बाल संवार दीजिए…।’
सौम्या- ‘दादी जी ! मैं तो भूल ही गई थी, मुझे आज ही स्कूल में एक कहानी सुनानी है। ऐसा करिए, आप मुझे तैयार करते हुए कहानी भी सुनाते जाइए, मैं वही कहानी स्कूल में सुना दूंगी।’
बच्चे आगे कुछ और कार्य बताते, उससे पहले ही विपिन ने डपटते हुए कहा-
‘मैंने रात को ही तुम दोनों को समझाया था कि, कल माँ-बाबूजी की शादी की सालगिरह है, कल कोई काम मत करवाना, मगर रोज की तरह सुबह उठते ही शुरू हो गए। इस घर में बड़ों का कोई सम्मान है या नहीं ?’
‘सॉरी पापा ! हम भूल गए थे।’
विपिन या बच्चे आगे कुछ कहते, इससे पूर्व ही रामलाल जी की आँखें भर आई। उन्होंने स्नेह पूरित शब्दों में अपने विचार रखे-
‘बेटा विपिन ! इन्हें मत रोको। यह काम नहीं, बच्चों का प्यार भरा अपनापन है जो हमें बेहद खुशी देता है। इनका हमारे इर्द-गिर्द डोलना ही बुढ़ापे का सबसे बड़ा सम्मान है। इससे ज्यादा हम लोगों को और कुछ नहीं चाहिए।’
परिचय-श्रीमति मीरा जैन का जन्म २ नवम्बर को जगदलपुर (बस्तर)छत्तीसगढ़ में हुआ है। शिक्षा-स्नातक है। आपकी १००० से अधिक रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से व्यंग्य,लघुकथा व अन्य रचनाओं का प्रसारण भी हुआ है। प्रकाशित किताबों में-‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं (२००३)’ सहित ‘१०१ लघुकथाएं’ आदि हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-वर्ष २०११ में ‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं’ हैं। आपकी पुस्तक पर विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) द्वारा शोध कार्य करवाया जा चुका है,तो अनेक भाषा में रचनाओं का अनुवाद एवं प्रकाशन हो भी चुका है। पुरस्कार में अंतर्राष्ट्रीय,राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय कई पुरस्कार मिले हैं। प्राइड स्टोरी अवार्ड २०१४,वरिष्ठ लघुकथाकार साहित्य सम्मान २०१३ तथा हिंदी सेवा सम्मान २०१५ से भी सम्मानित किया गया है। २०१९ में भारत सरकार के विद्वानों की सूची में आपका नाम दर्ज है। श्रीमती जैन कई संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। बालिका-महिला सुरक्षा,उनका विकास,कन्या भ्रूण हत्या एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि कई सामाजिक अभियानों में भी सतत संलग्न हैं।