हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
************************************
माँ के आँचल में बैठकर,
हम सुख का अनुभव करते थे
माँ हमें लोरी सुनाती थी,
प्यार से खाना खिलाती थी
प्यार-दुलार-स्नेह से अपने पास रखती थी।
हम उसकी आँखों के तारे थे,
और हम मस्ती में खेलते-खाते थककर माँ के आँचल में सो जाते थे,
माँ आपका वह स्नेह-प्यार- दुलार
हम भूल नहीं पाएंगे।
माँ आप हमेशा याद आती रहोगी,
आप मेरे बुरे वक्त में आँसू पोंछती थी
यह माँ की ममता का मनोबल है,
जो हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
माँ आप आज इस दुनिया में नहीं हो,
पर आपका वह आशीर्वाद हम बच्चों के बड़े काम आता है।
माँ के आँचल में बैठकर हम,
सुख का अनुभव करते थे…॥