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मिलकर प्रयास करें, तो जीवनदायिनी बनी रहेगी

डॉ. सुनीता श्रीवास्तव
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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सब ‘धरा’ रह जाएगा (पर्यावरण दिवस विशेष)….

हमारी धरती, हमारा अद्भुत ग्रह, अनमोल उपहारों से भरा हुआ है। इसके सुंदर पर्वत, घने जंगल, नीले समुद्र और विस्तृत मैदान न केवल हमारे जीवन का आधार हैं, बल्कि हमें असीम प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद भी प्रदान करते हैं, लेकिन आज हम जिस प्रकार से इसका दोहन कर रहे हैं, वह गंभीर चिंता का विषय बन गया है।

🔹प्राकृतिक संसाधनों का क्षय-
आधुनिक जीवन-शैली और तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या के चलते प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग हो रहा है। वनक्षेत्रों का कटाव, जल स्रोतों का प्रदूषण और जैव विविधता का ह्रास, यह सब मिलकर हमारे पर्यावरण को हानि पहुँचा रहे हैं। अगर हम इसी गति से प्रकृति का दोहन करते रहे, तो भविष्य में हमें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
🔹पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता-
पर्यावरण संरक्षण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। हमें अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए धरती की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। इसमें पेड़ लगाना, जल संरक्षण करना, ऊर्जा के नवीनीकरणीय स्रोतों का उपयोग और प्रदूषण कम करने के प्रयास शामिल हैं।
🔹सामाजिक और व्यक्तिगत प्रयास-
हर व्यक्ति को अपने स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए योगदान देना होगा। छोटी-छोटी चीजें जैसे-प्लास्टिक का उपयोग कम करना, अपशिष्ट का सही तरीके से निपटान करना और जल व ऊर्जा की बचत करना भी बड़े परिवर्तन ला सकते हैं। सामुदायिक स्तर पर संगठनों और सरकारों को भी इसमें सहयोग देना होगा, ताकि बड़े पैमाने पर सुधार हो सके।
🔹शिक्षा और जागरूकता-
पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। बच्चों में पर्यावरण के प्रति प्रेम और संरक्षण की भावना जागरूक करना जरूरी है। विभिन्न कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और अभियानों के माध्यम से लोगों को जागरूक करना चाहिए कि, वे अपने वातावरण की देखभाल कैसे कर सकते हैं।
🔹निष्कर्ष-
धरती हमारी माँ समान है, जो हमें जीवन देती है। हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि, हम धरती की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि, आने वाली पीढ़ियाँ भी इस सुंदर और हरी-भरी धरती का आनंद ले सकें। पर्यावरण की सुरक्षा ही धरती की सुरक्षा है, और यही हमारा कर्तव्य है। अगर हम सब मिलकर प्रयास करें, तो धरती हमेशा हरी-भरी और जीवनदायिनी बनी रहेगी।

परिचय-इंदौर (मप्र) निवासी डॉ. सुनीता श्रीवास्तव ने बी.-एससी. (वनस्पति विज्ञान-प्राणी विज्ञान), एमएसससी (रसायन शास्त्र), बी.एड. सहित पीएच.-डी. (हिन्दी साहित्य) एवं पत्रकारिता (डिप्लोमा) की शिक्षा प्राप्त की है। आप ‘शुभ संकल्प’ समूह की निर्देशिका, संस्थापक और सम्पादक हैं।
कई समाचार पत्रों में अनेक पदों पर १८ साल की पत्रकारिता की अनुभवी डॉ. श्रीवास्तव २ विद्यालय में जीवविज्ञान, एप्लाइड केमिस्ट्री और हिंदी साहित्य का अध्ययन कराने के साथ शिक्षा के क्षेत्र में ८ साल का अनुभव रखती हैं। इनकी कई पुस्तक प्रकाशित हुई हैं, जिसमें प्रमुख-‘चिन्मय, बस्ती का दर्द, यथार्थ चित्रण, यथार्थ पीड़ा, उड़ान, शुभ संकल्प, चाह, सत्यमेव-जयते, दर्द व कसौटी’ हैं। देश-विदेश के कई साझा संकलन, पत्र- पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में आपकी कविता, आलेख व कहानी आदि प्रकाशित हैं। आपको कई सम्मान और श्रेष्ठ पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिसमें इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल द्वारा विशेष सम्मान, ‘चिन्मय’ में कहानी ‘बूढ़ा बचपन’ के लिए सृजन ऑस्ट्रेलिया ग्लोबल द्वारा ‘अंतराष्ट्रीय सृजन ऑस्ट्रेलिया पुरस्कार’ (२०१३), ‘ग्लोबल एक्सेलिंसी (जयपुर) अवार्ड- २०२३’, हिन्दी साहित्य को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने हेतु नेपाली राष्ट्रीय विश्वविद्यालय से ‘अंतराष्ट्रीय भारत-नेपाल साहित्य रत्न सम्मान-२०१९’, नेशनल आर्ट्स एंड कॉमर्स यूनिवर्सिटी (श्रीलंका), वामा साहित्य मंच द्वारा काव्य पाठ हेतु, इंदौर लेखिका संघ, साहित्य रत्न पुरस्कार-२०२४, पद्मश्री मालती जोशी द्वारा २०१८ में, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शरद पगारे द्वारा कहानी ‘नई सोच’ की नाटक प्रस्तुति के लिए, कविता विधा में विशेष योगदान हेतु महात्मा गांधी काव्य संसद द्वारा ३ बार, पद्मश्री जनक पलटा द्वारा और महिला सशक्तिकरण के लिए भी कई संस्थाओं आदि से सम्मानित किया गया है। आपकी विशिष्ट उपलब्धि देखें तो ‘इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल’ में वक्तव्य, ५ देशों में अंतर्राष्ट्रीय साहित्य संगोष्ठी का आयोजन, काठमांडू में अंतर्रा. साहित्य संगोष्ठी (नेपाल से ५५० से अधिक साहित्यकार सम्मिलित), दुबई में शुभ संकल्प द्वारा प्रवासी भारतीय साहित्यकारों की काव्य-गोष्ठी-सम्मान समारोह तथा श्रीलंका में अंतराष्ट्रीय साहित्य संगोष्ठी व इंडोनेशिया में पुस्तक विमोचन कार्यक्रम आदि आयोजित करना है। ऐसे ही ५०० से अधिक आभासी एवं १०० से अधिक ऑनलाइन स्पर्धा भी करवाई हैं। सामाजिक व साहित्यिक सेवा के अंतर्गत आप समूह द्वारा जरूरतमंद बच्चों को हिंदी साहित्य की पुस्तकें नि:शुल्क भेंट कर चुकी हैं तो पुस्तकें भी प्रकाशित करवाई। प्रतिवर्ष प्रशंसनीय महिलाओं को ‘गौरव रत्न सम्मान’ तथा ‘महिला शक्ति सम्मान’ से सम्मानित भी करती हैं।