श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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तेज रफ़्तार से चलता है, समय का रथ,
समय को किसी के प्रति, नहीं है स्वार्थ।
समय का रथ किसी का, नहीं है गुलाम,
चलेगा उस पथ पर, जहाँ है उचित धाम।
समय के फेर से, कृष्ण जन्में हैं जेल में,
मृत दशरथ जी को समय, रखे थे तेल में।
समय ही श्रीराम को, तपस्वी नाम दिया,
रावण की वाटिका, हनुमान ने उखाड़ दिया।
समय के चलते अहिल्या जी बनी पत्थर,
पुनः रूप पाया, पाके राम की पद ठोकर।
समय के चलते, जनक जी पिता बने थे,
राजा दशरथ, कैकेयी के प्रेम में सने थे।
समय का रथ पीछे मुड़ के, देखा ही नहीं,
कौन अपना-कौन पराया, लिखा ही नहीं।
संत कहते हैं-समय का रथ दिखेगा नहीं,
लाख मन्नत करो, कभी भी सुनेगा नहीं॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |