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मेहनती आदमी हूँ

मंजरी वी. महाजन
हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश)
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मेहनती आदमी हूँ मैं जीवन के सफ़र में,
करता हूँ संघर्ष, चलता हूँ बेफिक्र
हर कठिनाई को देख मुस्कुराता हूँ मैं,
अपनी मेहनत से राह बनाता हूँ मैं।

प्रेरणा स्वरूप है मेरा यह संघर्षी रंग,
बढ़ता हूँ आगे, निश्चय कर जीतने की हर जंग
कहानी मेरी मेहनत की बिना रुके लिखता हूँ,
मेहनत की स्याही से सपनों में हकीकत के रंग भरता हूँ।

यह माना जीवन पथ पर मुश्किलों की भरमार है,
पर जो छूट गया उसका क्या मलाल है!
एक रास्ता न भी मिले तो क्या,
जीतूँगा इक दिन, खुद पर विश्वास है।

मेरी मेहनत-मेरा इरादा,
मेहनत से जगमगाती है मेरी जीवन गाथा।
मेहनती होने का है यह गर्व न किसी से कम,
जीवन के सफर में बनता हूँ मैं खुद का आदम॥

परिचय-मंजरी वी. महाजन का जन्म स्थान नादौन (जिला हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश) और जन्म तारीख ३० सितम्बर १९७४ है। वर्तमान में हमीरपुर में ही स्थाई निवास है। साहित्यिक नाम ‘मंजरी’ से आप जानी जाती हैं। भाषा ज्ञान देखें तो हिंदी भाषा में अत्यधिक रुचि होने के कारण इसके प्रचार-प्रसार में योगदान देना चाहती हैं। वैसे विज्ञान विषयों के अध्ययन के कारण इस भाषा में कोई विशेष उपाधि नहीं है। आपकी पूर्ण शिक्षा-एम.एस-सी. (वनस्पति विज्ञान) व एम.फिल. है। कार्यक्षेत्र में लगभग २३ वर्ष तक राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में ११-१२ वीं के विद्यार्थियों को जीव विज्ञान पढ़ाने के उपरांत अब रा.व.मा.पा. भलेठ (हमीरपुर) में प्रधानाचार्या के पद पर कार्यरत हैं। सामाजिक गतिविधि के तहत आप पर्यावरणविद् होकर शाला और आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्यरत हैं। मुम्बई स्थित सहारा अशासकीय संगठन के साथ वंचित विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाने का काम भी कर रही हैं। विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिए लेख लिखकर पुरस्कार जीत चुकी हैं, साथ ही कई समाचार-पत्र में भी लेखन जारी है। प्रकाशन की दृष्टि से विज्ञान विषयों से संबंधित आपके लेख ‘द ऑर्किड सोसायटी ऑफ़ इंडिया’ की पत्रिका में प्रकाशित हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य सच्चाई से ओत-प्रोत भावनाओं को लेखनी के माध्यम से व्यक्त करना और समाज कल्याण में कार्य करना है। पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद हैं। मंजरी वी. महाजन के जीवन का लक्ष्य अधिक से अधिक ज्ञान अर्जित करना व मानव जाति के उत्थान के लिए कार्य करना है। इनके लिए इनके पिता जी ही प्रेरणापुंज, आदर्श और प्रेरणा स्रोत हैं। उनके अनुसार ज्ञानवर्धन के लिए पढ़ने और लिखने की कोई उम्र या समय निर्धारित नहीं होता। देश और हिंदी के प्रति विचार- “हिंदी मात्र अभिव्यक्ति या संचार का ही माध्यम नहीं, यह एक विचारधारा है। भारतीयों की सांस्कृतिक पहचान है। हमें इसके संरक्षण, संवर्धन और प्रोत्साहन में हर प्रयास करना चाहिए।”