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म्हारो जनम सुधारो जी

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी
सहारनपुर (उप्र)
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प्रभु जी म्हारो जनम सुधारो जी।
जनम-जनम की मुझ पापिन को,
स्वामी अब तो तारो जी॥

बुद्धि से बस तुम्हें विचारूं,
मुख-जिव्हा से तुम्हें उचारूं।
स्वामी‌ कुछ तो विचारो जी,
प्रभु जी म्हारो जनम…॥

भक्ति ना जानूं भाव ना जानूं,
भटके मन तो इसे खोटा मानूं।
स्वामी अब तो उबारो जी,
प्रभु जी म्हारो जनम…॥

भक्ति राम-सी, वाणी श्याम-सी,
लगन मीरा-सी, मगन राधा-सी।
स्वामी चित संचारो जी,
प्रभु जी म्हारो जनम…॥

मलिन-दृष्टि के दोष निवारक,
नाम का अंजन शीतल कारक।
स्वामी नयनन डारो जी,
प्रभु जी म्हारो जनम…॥

सबमें दरश तुम्हारो प्रभु जी,
सांची प्रीत हमारो प्रभु जी।
स्वामी अब स्वीकारो जी,
प्रभु जी म्हारो जनम…॥

लाड़ लड़ाऊं सुनाऊं बतियां,
विरहा जलाये मोरी छतियां।
स्वामी‌ उर में पधारो जी,
प्रभु जी म्हारो जनम…॥

भक्ति-भाव बन मुख से निकसो,
अंतर-मन बन श्रद्धा‌ विकसो।
स्वामी तन-मन वारो जी,
प्रभु जी म्हारो जनम…॥

भूख, नींद को ले लो कृपालु,
भक्ति सुधा-रस दे दो दयालु।
स्वामी विनती म्हारो जी,
प्रभु जी म्हारो जनम…॥

भाव बनो कभी बनो भंगिमा,
जप-जप नाम बनाऊं प्रतिमा।
स्वामी प्रीतम प्यारो जी,
प्रभु जी म्हारो जनम…॥

आप ओम हो, आप प्रेम हो,
आप मेरे व्रत जाप नेम हो।
स्वामी जो है थ्हारो जी,
प्रभु जी म्हारो जनम…॥

तुममें गति-मति आके ठहरी,
मौन विनय शिव रैना सगरी।
स्वामी सुनो हमारो जी,
प्रभु जी म्हारो जनम…॥

प्रभु जी म्हारो जनम सुधारो जी।
जनम-जनम की मुझ पापिन को,
स्वामी अब तो तारो जी…॥