सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
**************************************
सूर्य चमकता है मुझमें,
ज्योति से ही तो जीवित हूँ
है अस्तित्व मेरा आपसे ही,
मैं आपसे ही तो पोषित हूँ।
प्राणी बनाया श्रेष्ठ मुझको,
राज्य पृथ्वी पर करूँ
अपनी ज्योति बुद्धि से,,
मैं नित नई रचना रचूँ।
पर जो मैं का बोध कर,
हम कर रहे दुष्कर्म हैं
होती तनिक नहीं ग्लानि,
इससे कर रहे जो कर्म हैं।
शक्ति का अपमान कर,
जो कार्य वर्जित था कभी
कर रहे हैं वहीं सब कुछ,
नहीं होता था कभी।
है यही कहना कि एक,
सूरज चमकता आपमें।
कर सदा उपयोग उसका,
हित करें संसार में॥