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खुद के लिए जीना सीख लिया

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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बरसों से दूसरों के लिए
जीने की कोशिश जारी है,
घर के बड़ों के आराम
और जरूरतों के लिए,
हमेशा अपने को झोंक दिया।

छोटों को पाल-पोस कर
बड़ा करने में खून-पसीना एक किया,
कभी अकेले, कभी दोनों ने मिलकर
उनको खुद के पैरों पर खड़ा करने,
अपनी इच्छाओं का त्याग किया।

नौकरी में अपने को स्थापित कर
जी-तोड़ मेहनत कर,
लक्ष्य पूरा करने प्रण लिया
कभी सहकर्मियों के लिए अतिरिक्त काम किया,
एवज में अपने स्वास्थ्य को उपेक्षित ही किया।

गैरों की मदद करने में
कभी भी कदम पीछे न हटे,
श्रम और आर्थिक मदद से उपकार किया
पर वाह री दुनिया, उन्हीं में से,
कुछ लोगों ने ऐसा धोखा दिया, दगा दिया।

रिश्तेदारों की तो पूछो ही मत
हर कदम हर वक्त हमेशा,
दिलो-जान से मदद की
रहने दो;ये मत पूछो कि उन्होंने क्या सिला दिया!

दोस्तों को जब भी पुकारा
अपने करीब सबसे करीब पाया,
उनको सहायता करने में सर्वदा हर्ष हुआ
क्योंकि अपेक्षाओं का गोदाम रिक्त पाया।

उम्मीदों और आशाओं के इस
लंबे सफ़र में खुद को जैसे भुला दिया,
झुलसा दिया, स्वास्थ्य अपना गवां बैठे
एक परी सपनों में आकर,
जब आईना दिखा गई।

बादलों से निकल कर फिर सूरज
की किरणें सच्चाई का सामना करा गई,
खुद के लिए जीने का गुर सिखा गई
संयम, अनुशासन, स्वास्थ्य ही असली धन है बता गई,
पालन करके लाभान्वित हूँ।

नए जोश और होश के साथ
जीवन खुशियों के रंग से भर गया,
खुद से फिर एक बार प्यार हो गया।
प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में फिर एक बार,
खुद के लिए जीना सीख लिया॥

परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।