ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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बचपन के वह बीते पल छिन,
उसका जाना लौट न पाना,
बचपन में बढ़ने की इच्छा,
बढ़ कर मन का बचपन जाना।
नाटक पट लीला नौटंकी,
जो पढ़ना न हो सौ बहाना,
मेला ठेला पर्व त्यौहार,
मासूम बचपन का तराना।
मिट्टी का वह बर्तन भांडा,
गुड्डे-गुड्डी ब्याह रचाना
कॉमिक्स की प्यारी दुनिया,
थोड़ी शरारत धूम मचाना।
मुर्गा बनना अंडा मिलना,
होम वर्क पर बातें बनाना,
खुश करने कोशिश टीचर को,
बदले पाते थे नजराना।
चूरन, केक, टॉफी, चॉकलेट,
बंधन बिन दिन भर खाना,
रोटी, पराठे, खोया मेवा,
अमिया इमली जी ललचाना।
खेल-खिलौने वाली दुनिया,
बस मस्ती-मौज खिलखिलाना
छुट्टी घण्टी बस्ता, रस्ता,
सबसे नाता हुआ पुराना।
खो-खो कबड्डी, छुप्पन-छुपाई,
पत्थर परी और दौड़ लगाना
गुल्ली-डंडा, कंचा, भंवरा,
रस्सा कसना, नून बनाना।
कैरम, लूडो, ताश, तैरना,
खेले बैडमिंटन सुहाना,
था बीजों का खेल चिचोला,
ऑमलेट, चॉकलेट, गाना।
फुगड़ी, कौड़ी, पासे, स्टैच्यू,
चोर-सिपाही, ताना-बाना,
विष अमृत और नदी पहाड़
आँख बंद कर छूना-छुआना।
झूठ-मूठ उड़न खटोला,
और चाँद को वो छू आना
बंदर भालू खेल तमाशे,
सर्कस, जादूगर का जमाना।
सायकल रेस या कुर्सी दौड़,
लंबी कूद, चकरी घुमाना।
बोरा दौड़ या भाला,
आँखों में बचपन लहराना॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।