हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
************************************
नया सबेरा, नयी आशाएँ, नए संकल्प…
सुबह की भोर में चमक रहा है उजाला,
सूर्य की किरणों की यह लालिमा
नई सुबह नये संकल्पों की सूत्रधार है,
नये वर्ष की नई सुबह इतनी खुशहाल है।
उम्मीदों के साये पर जो बीत गया,
वह कल था अब नया दिन नया साल है
जीवन के सार में यह उज्जवलता का प्रकाश है,
नये वर्ष की नई सुबह इतनी खुशहाल है।
देखो आगे बढ़ने वाला जीत जाएगा,
पीछे जो रह गया, वह बीत जाएगा
आगज हो कुछ नया करने का तभी तो,
नये वर्ष की नई सुबह इतनी खुशहाल है।
अब नहीं है अन्धकार,
रोशनी का यह है संसार
दुखों के बादल अब छंट गए हैं,
नये वर्ष की नई सुबह इतनी खुशहाल है।
मंगलमय जीवन को हम ऊँचाइयों पर ले जाएँ,
अपने राष्ट्र की वंदना के लिए आगे आएँ।
जन की मन से करें, सेवा यही हमारी पहचान है,
नये वर्ष की नई सुबह इतनी खुशहाल हैं…॥