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ये कविताएँ जड़-चेतन के प्रति प्रेम का भाव

लोकार्पण…

हैदराबाद (तेलंगाना)।

डॉ. अहिल्या मिश्र का स्थान सुमेरु की तरह है। मोहिनी गुप्ता के जड़-चेतन के प्रति प्रेम का भाव ये कविताएँ हैं। युग और समाज के साथ जुड़ी हुई हैं मोहिनी। मेरे लिए शिल्प नहीं, कथ्य भाव महत्वपूर्ण हैं। क्यू आर कोड का प्रयोग असाधारण प्रयोग है।
यह विचार मुख्य अतिथि प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने मंचासीन अतिथियों की उपस्थिति में काव्य संग्रह ‘प्रेम के मोती’ का लोकार्पण करते हुए व्यक्त किए। कादम्बिनी क्लब एवं केंद्रीय हिन्दी संस्थान (बोइनपल्ली) के संयुक्त तत्वावधान में क्लब की मासिक गोष्ठी एवं कवयित्री मोहिनी गुप्ता के इस प्रथम संग्रह के लोकार्पण का यह कार्यक्रम क्लब अध्यक्षा डॉ. अहिल्या मिश्र एवं कार्यकारी संयोजिका मीना मुथा ने किया। प्रथम सत्र की अध्यक्षता डॉ. मिश्र ने की। डॉ. चंद्रा मुखर्जी (विशिष्ट अतिथि), प्रो. गंगाधर वानोड़े (विशिष्ट अतिथि) व रचनाकार मोहिनी गुप्ता भी मंचासीन हुए। प्रारम्भ में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया। मोहिनी गुप्ता ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
डॉ. मिश्र ने शब्द पुष्पों से स्वागत करते हुए कहा कि आज मोहिनी गुप्ता हस्ताक्षरित साहित्यकार बन गई हैं, इसका हमें आनंद हो रहा है। महिलाएँ निश्चित ही अपने घर-बाहर की जिम्मेदारियों का वहन करते हुए साहित्य और लेखन में अग्रसर हो रही हैं। यह सराहनीय बात है।
संग्रह का परिचय डॉ. सुरभि दत्त ने देते हुए कहा उन्होंने रचनाओं को रचा ही नहीं, बल्कि जीया भी है।
डॉ. मुखर्जी ने भी सम्बोधित किया।
मोहिनी गुप्ता ने अपने भाव व्यक्त करते हुए बताया कि परिवार का सहयोग एवं डॉ. मिश्र की प्रेरणा रही कि यह पुस्तक निकल पाई।

दूसरे सत्र में कवि गोष्ठी भी हुई, जिसकी अध्यक्षता डॉ. पूर्णिमा शर्मा ने की। मीना मुथा ने संचालन किया। गीता अग्रवाल ने धन्यवाद दिया।