इन्दौर।
श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति के साप्ताहिक आयोजन कालजयी साहित्यकार स्मरण श्रृंखला की १०२वीं कड़ी में मंगलवार को मध्यकालीन संत मलूकदास का स्मरण किया गया। अध्यक्षता प्रबंधकारिणी सदस्य त्रिपुरारीलाल शर्मा ने की।
समिति के प्रचार मंत्री हरेराम वाजपेयी ने बताया कि शुरूआत में अखिलेश राव ने संत मलूकदास का विस्तृत परिचय दिया। अरविंद जोशी ने कहा कि निर्गुण भक्तिधारा के महत्वपूर्ण संत मलूकदास बचपन से ईश्वर पर विश्वास करने वाले नहीं, बल्कि परखने वाले व्यक्ति थे। राधिका इंग्ले ने उनके प्रसिद्ध दोहे ‘अजगर करें न चाकरी’ को रेखांकित किया। अश्विन जोशी ने मलूकदास की भक्तिधारा को अपनाने का विचार प्रकट किया।
इस अवसर पर श्याम सिंह, आशीष पारीख, महेश लोदवाल, पारस बिरला और विजय खंडेलवाल आदि उपस्थित रहे।
संचालन प्रो. अखिलेश राव ने किया। आभार बाल साहित्यकार नयन राठी ने माना।