हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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हनुमान जयंती (११ अप्रैल) विशेष…
हर एक सुख में, दुःख में,
दीनानाथ के साथ रहे
अपने प्रभु का नाम रटते हुए,
वही सच्चे राम भक्त बने।
वह नौ निधि के दाता,
अंजनी जिनकी माता
सूरज को फल समझने वाले,
वही सच्चे राम भक्त बने।
वह प्रभु राम के दूत बन,
तपस्या करते रहे प्रभु मिलन की
विश्वास जिनका था अटूट,
तभी तो वह सच्चे राम भक्त बने।
वह संकट से हमें भी छुड़ाएंगे,
राम धुन जब हम गाएंगे
वह महावीर महाबली विक्रम बजरंगी,
वही सच्चे राम भक्त बने।
वह तो अपने आराध्य के लिए,
सौ योजन समुद्र लांघ गए
लंका पहुंचे और माता सीता को खोज निकाला,
तभी तो वह सच्चे राम भक्त बने।
धरती पर मूर्छित भैया
लखन देख सब घबराए
वह वीर हनुमान संजीवनी लाए,
तभी तो वह सच्चे राम भक्त बने।
वह ऐसे निराले भक्त जो,
मोती की माला में राम को ढूंढते हैं।
बिना राम के जिनके लिए सब बेकार,
ऐसे परम शक्तिशाली बजरंगबली
वह सच्चे राम भक्त बने॥