अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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‘विश्व कला दिवस’ (१५ अप्रैल) विशेष…
‘कला’,
रंग अभिव्यक्ति
मन-जीवन सार,
मिलती ख़ुशी
हृदय।
‘कला’,
जगाती भावना
उड़ाती आसमान में,
विविध रंग
जीवन।
‘कला’,
हाथ हुनर
चमकता है चेहरा,
मजबूत रिश्ते
प्रेम।
‘कला’,
अनूठा माध्यम
रूप संगीत भी,
मिलता सुकून
असीम।
‘कला’,
बँधती नहीं
है बड़ा पर्दा,
हर कोई
परिंदा।
‘कला’,
विरल अनुभूति
अँधेरे में उजियारा,
समझो तो
आकाश।
‘कला’,
कठपुतली रूप
संवेदनाओं का स्वर,
अपार परिश्रम
तालियाँ।
‘कला’,
चित्र बनते
मन की बात,
अनूठी सोच
रंग।
‘कला’,
लेखन भी
रचते कई विचार,
मिलती लय
सृजन।
‘कला’,
नृत्य बेजोड़
थिरकते कदम घुँघरू,
भाव-विभोर
आनंद।
‘कला’,
है उस्तादी
हर कोई प्रतिभाशाली,
मिले मंच
कौशल।
‘कला’,
होती अनमोल
जोड़ती विश्व को।
इसमें सब,
एकजुटता॥