पी.यादव ‘ओज’
झारसुगुड़ा (ओडिशा)
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‘क्या अच्छी दोस्त…? (विश्व पुस्तक दिवस विशेष)…
ज़िंदगी के हर एक मोड़ पर,
साथ निभाया है जिसने मेरा
ऐ किताब! तुझ-सा ना कोई,
इस जहां में हमसफ़र मेरा।
कोख में जब था मैं माँ की,
सुनता था तेरी सारी बातें
सकुशल मैं धरती पर आऊँ,
पढ़ती थी माँ कई किताबें।
माँ सुलाती जब-जब मुझको,
लोरियाँ तेरे पन्नों की है गाती
सुबह हो गई जागो लल्ला,
शब्द तेरे सुना, वो मुझे सुनाती।
पढ़ने की जब खूब चाह जगी,
बूंद से तूने समंदर सिखाया
दु:ख में ढांढस-सुख में स्थिरता,
जीवन का तूने हर पाठ पढ़ाया।
सृष्टि तू-जीवन की दृष्टि भी तू,
नियति का हर रंग है तुझमें
पराक्रम तू-सिद्धि-संवर्धन तू,
आत्मज्ञान का अमृत तुझमें।
अनंत है तू, तेरी यात्रा-अनंत,
मिलन का सेतु रहे चिर अनंत
जब भी हो जन्म धरा पे मेरा,
संग मेरे रहना, ओ ज्ञान-बसंत।
ज़िंदगी के हर एक मोड़ पर,
साथ निभाया है जिसने मेरा।
ऐ किताब! तुझ-सा ना कोई,
इस जहां में हमसफ़र मेरा॥