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लज्जित करने वाला क्यों लिखना ?

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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मैंने सोशल मीडिया में देखा-सुना और जो पढ़ा, उनके सार अनुसार आज भारत में कलमकारों के ३ वर्ग दृष्टिगोचर हो रहे हैं। एक की कलम से समरसता सद्भाव, विवेक, एकता, भारत की अखंडता, राष्ट्र प्रेम का संदेश निकल रहा है। उनके हिसाब से हम सभी भारतीय हैं। राम-कृष्ण हमारे, बुद्ध भी हमारे, रहीम-रहमान भी हमारे। कश्मीर, कन्याकुमारी, हर भारतीय भाषा, पहनावा, खान-पान, रहन-सहन हमारा साझा, अपनी खूबसूरत विविधताओं का सम्मान और प्रेम लिख रहे हैं। यह कलम जाति वर्ग छोड़ ‘एक बनो नेक बनो‌’ लिख रही है। यह प्रखर राष्ट्रवादी कलम भारत और भारत के लोगों का विकास, उन्नति, भारत का विश्व में ऊँचा नाम और सम्मान की कामना लिख रही है।
ऐसे ही एक कलमकार का वर्ग है कोमल भावना, प्रेम, प्रीत, ममत्व मनोरंजन, आस्था, सदाचार लिख ने वाला। यह समाज, जीवन के सुख-दु:ख और व्यवहार को निरपेक्ष रह कर लिख रहे हैं‌।
तीसरे कलमकार, जिनकी कलम में स्याही नहीं, जहर भरा है। वो लिख रहे हैं-जाति-पाति, ऊँच-नीच, अगड़ा-पिछड़ा में खाई। यह सब अपने राजनीतिक आकाओं की पराजय की हार की कुंठा, नैराश्य और ईर्ष्या में भारत व भारतीयता के विरुद्ध लिख रहे हैं। मोदी जी, राहुल जी, अखिलेश या ममता जी, माया जी कोई भी पक्ष-विपक्ष का नेता हो, टुच्चे कलमकार इनके ज्ञान, कार्य, प्रशासनिक क्षमता और परिश्रम के आगे धूल का कण भी नहीं हो, पर वो इन हस्तियों के लिए जहर भरे ऐसे-ऐसे शब्द और कविता लिखते हैं कि इन्हें कवि कम जहरीला साँप कहा जा सकता है। आपसे घर नहीं सम्हल रहा, पर कोई देश और राज्य चला चुका है तो कोई चला रहा है। नेता अपनी-अपनी सत्ता और कुर्सी के लिए लांछन, ईर्ष्या, द्वेष और अनर्गल प्रलाप एक-दूसरे दल पर करते हैं। इन्हें कुर्सी पाना है, पर कलमकार या आमजन क्यों लड़ रहे हैं ? एक- दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। लिख रहे हैं पर क्या मिलेगा जहर लिख कर आपको ? आजकल कुछ राष्ट्रद्रोही लोग हिन्दू नाम से हिन्दु-मुस्लिमों को भड़का रहे हैं। कुछ दलित जो बौद्ध हो चुके हैं, कलम से सनातन वाद के लिए जहर उगल रहे हैं, जबकि सनातन ने बुद्ध और बौद्धों को कभी अपने से अलग माना ही नहीं। बुद्ध सनातन में ईश्वर के दसवें अवतार के रूप में पूजे गए। ये नए-नए बौद्ध बने दलित और देशघाती लोग बौद्ध और हिन्दुओं को लड़वाने की घृणित चाल चल रहे हैं, जिसमें उप्र से एक नेता प्रथम पंक्ति में है।
कुछ कलमकार मोदी जी, राहुल जी या अन्य पर अकारण खुन्नस रखे बैठे हैं। इन पर अपनी घटिया विकृति का प्रदर्शन करते हुए जहर भरी रचना लिखते हैं। अरे, नेताओं को राजनीति करने दो। आप कलम के सिपाही हो, किसी नेता के नहीं तो क्यों जलते हो, क्यों खुन्नस में लिखते हो ?
शुभ लिखिए, सुंदर लिखिए, भाव लिखें, ज्ञान लिखें। निरपेक्ष लिखिए, जो आपके बाद भी पढ़ा-लिखा जाता रहे।

परिचय-ममता तिवारी का जन्म १ अक्टूबर १९६८ को हुआ है और जांजगीर-चाम्पा (छग) में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती ममता तिवारी ‘ममता’ एम.ए. तक शिक्षित होकर ब्राम्हण समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य (कविता, छंद, ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नित्य आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो विभिन्न संस्था-संस्थानों से आपने ४०० प्रशंसा-पत्र आदि हासिल किए हैं।आपके नाम प्रकाशित ६ एकल संग्रह-वीरानों के बागबां, साँस-साँस पर पहरे, अंजुरी भर समुंदर, कलयुग, निशिगंधा, शेफालिका, नील-नलीनी हैं तो ४५ साझा संग्रह में सहभागिता है। स्वैच्छिक सेवानिवृत्त शिक्षिका श्रीमती तिवारी की लेखनी का उद्देश्य समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।