अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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अहमदाबाद विमान हादसा…
हवा में था एक सपना, उम्मीदों का कारवाँ,
नज़रों में थी मंज़िलें, दिलों में था आसमाँ
पर वक्त ने बदली यूँ राह, तक़दीर ने ली करवट,
एक पल में सब बदल गया, छा गई अश्रुओं की बरसात।
जो कल थे मुस्कुराते, आज तस्वीरों में बंद हैं,
जो गले लगकर निकले थे, अब मौन चिर निद्रित तन हैं
माँ की गोद खाली है, पिता की आँखें नम,
बच्चों के खिलौने भी पूछें-“अब लौटेंगे कब हम ?”
अहमदाबाद की धरती ने थामे हैं कई जनाज़े,
हवा भी थम गई जैसे, सहम गए सारे रास्ते
ये हादसा नहीं बस एक खबर,
ये टूटे सपनों की बिखरी दस्तक, है एक जख़्मी सफ़र।
ईश्वर! उन आत्माओं को देना शांति की छाँव,
जो चले गए चुपचाप-न कह सके कोई अलविदा भाव
परिजनों को दे शक्ति, ये ग़म सह जाएँ,
और हम सब, बस इंसानियत में एकजुट हो जाएँ।
मंज़िलें अब रुकी हैं, पर दुआएँ नहीं,
श्रद्धांजलि के फूल चढ़ते हैं, मगर यादें कहीं नहीं जातीं।
हम सब हैं साथ, इस पीड़ा के पल में,
इस ग़म के ग़ुबार में, अहमदाबाद की हवा भी है रोई॥