डॉ. शैलेश शुक्ला
बेल्लारी (कर्नाटक)
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भारत में डिजिटल क्रांति ने अभूतपूर्व गति पकड़ी है। २०२५ तक भारत में इंटरनेट उपयोग कर्ताओं की संख्या ९० करोड़ को पार कर चुकी है, जिसमें ६० प्रतिशत से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। स्टेटिस्टा के अनुसार ग्रामीण भारत में स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं की संख्या ४० करोड़ से अधिक हो गई है, जो २०१५ की तुलना में १० गुना वृद्धि है। यह आँकड़ा केवल संख्या नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का प्रतीक है। डिजिटल मीडिया ने न केवल शहरों की चकाचौंध को, बल्कि गाँवों की मिट्टी को भी अपनी चपेट में लिया है, जिससे सूचना, शिक्षा और अवसरों का एक नया युग शुरू हुआ है।
डिजिटल मीडिया ने सूचना के प्रसार को लोकतांत्रिक बनाया है। पहले जहां समाचार-पत्र और टेलीविजन कुछ बड़े शहरों तक सीमित थे, वहीं आज यू-ट्यूब, सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने गाँवों के कोने-कोने तक सूचना पहुंचाई है। ग्रामीण भारत में लोग अब न केवल समाचार देखते हैं, बल्कि स्थानीय मुद्दों पर राय भी व्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिए-उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में रहने वाला किसान अब अपनी फसलों की जानकारी के लिए यू-ट्यूब चैनलों का सहारा लेता है, जहां उसे उन्नत खेती की तकनीकों से लेकर सरकारी योजनाओं की जानकारी मिलती है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने भाषा की बाधाओं को भी तोड़ा है। हिंदी, तमिल, बंगाली और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कंटेंट ने ग्रामीण दर्शकों को जोड़ा है, जिससे सूचना का प्रवाह पहले से कहीं अधिक समावेशी हो गया है।
यह लोकतंत्रीकरण केवल सूचना तक सीमित नहीं है। डिजिटल मीडिया ने लोगों को अपनी आवाज उठाने का मंच दिया है। ट्विटर (अब X) और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर ग्रामीण युवा अपनी कला, संस्कृति और समस्याओं को दुनिया के सामने ला रहे हैं। इस तरह डिजिटल मीडिया ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नया आयाम दिया है। ई-कॉमर्स और डिजिटल मार्केटिंग ने ग्रामीण उद्यमियों को अपने उत्पादों को बड़े बाजारों तक पहुंचाने का अवसर दिया है।डिजिटल भुगतान प्रणालियों जैसे यूपीआई ने ग्रामीण व्यापार को और आसान बनाया है। पहले जहां नकद लेन-देन और बैंकों की कमी एक बड़ी बाधा थी, वहीं अब एक स्मार्टफोन के जरिए ग्रामीण दुकानदार सीधे ग्राहकों से भुगतान प्राप्त कर सकते हैं। यह न केवल समय बचाता है, बल्कि पारदर्शिता और वित्तीय समावेशन को भी बढ़ावा देता है। डिजिटल मीडिया ने ग्रामीण महिलाओं को भी सशक्त बनाया है। स्वयं सहायता समूहों ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर अपने उत्पादों, जैसे-अचार, पापड़ और हस्तशिल्प को ऑनलाइन बेचना शुरू किया है, जिससे उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल मीडिया अभूतपूर्व परिवर्तन लाया है। ग्रामीण भारत में, जहां अच्छे विद्यालयों और शिक्षकों की कमी एक बड़ी समस्या थी, वहां ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म्स ने शिक्षा को हर घर तक पहुंचाया है। एक अध्ययन के अनुसार २०२३ में ग्रामीण भारत में ७० फीसदी से अधिक छात्रों ने ऑनलाइन ट्यूटोरियल्स का उपयोग किया। ये प्लेटफॉर्म्स तकनीकी कौशल, कोडिंग, डिजिटल मार्केटिंग और ग्राफिक डिजाइनिंग सिखाने में भी मदद करते हैं। डिजिटल मीडिया ने ग्रामीण युवाओं को सरकारी नौकरियों की तैयारी के लिए भी संसाधन उपलब्ध कराए हैं। यह शिक्षा का वह लोकतंत्रीकरण है, जो पहले केवल शहरों के महंगे कोचिंग सेंटरों तक सीमित था। डिजिटल मीडिया ने न केवल शिक्षा को सुलभ बनाया है, बल्कि इसे अधिक आकर्षक भी बनाया है।
डिजिटल मीडिया ने सामाजिक जागरूकता फैलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वास्थ्य, स्वच्छता और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर जागरूकता अभियान अब गाँवों तक पहुंच रहे हैं। डिजिटल मीडिया ने ग्रामीण संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने में भी योगदान दिया है। ग्रामीण कलाकार, संगीतकार और कथावाचक अब अपने हुनर को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर प्रदर्शित कर रहे हैं।
हालांकि, डिजिटल मीडिया के लाभ असंख्य हैं, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट संयोजन अभी भी एक बड़ी समस्या है। कई गाँवों में नेटवर्क की गति धीमी है, जिससे डिजिटल संसाधनों का उपयोग सीमित है। इसके अलावा डिजिटल साक्षरता की कमी भी एक बाधा है। कई ग्रामीण उपयोगकर्ता स्मार्टफोन का उपयोग तो करते हैं, लेकिन ऑनलाइन धोखाधड़ी और गलत सूचनाओं से बचने के लिए पर्याप्त जागरूक नहीं हैं। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करना होगा। भारत सरकार का डिजिटल इंडिया अभियान एक सकारात्मक कदम है, जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड संयोजन बढ़ाया जा रहा है।डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों को और व्यापक करने की आवश्यकता है।
डिजिटल मीडिया का भविष्य और भी उज्वल है। ५ जी तकनीक के आगमन के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की गति और पहुंच में और सुधार होगा। यह डिजिटल मीडिया ग्रामीण भारत को स्टार्ट-अप गढ़ में बदल सकता है। यह न केवल रोजगार सृजन में मदद करेगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और सशक्त बनाएगा।
डिजिटल मीडिया ने शहरों और गाँवों के बीच की खाई को पाटने का काम किया है। यह न केवल सूचना, शिक्षा और अवसरों को सुलभ बनाता है, बल्कि ग्रामीण भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान देता है। हालांकि चुनौतियाँ मौजूद हैं, लेकिन सही नीतियों और सामूहिक प्रयासों से इनका समाधान संभव है। शहरों से गाँवों तक यह लहर हर किसी को सशक्त और प्रेरित कर रही है।