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बहुत प्रासंगिक है अनीता मिश्रा की कविताएं

पटना (बिहार)।

हम यह नहीं कहते कि गीत, ग़ज़ल की उपयोगिता अब खत्म हो गई है। हम बस इतना कहते हैं कि गद्य या सपाटबयानी कविता लिखने से बेहतर है आजाद ग़ज़ल, आजाद गीत या नज़म लिखना। समीक्षकों, आलोचकों द्वारा उपेक्षित और तिरस्कार किए जाने के बावजूद ऐसी कविताएं ही मंचों पर वाहवाही लूट रही है। ऐसे कवियों के बीच ही, वरिष्ठ कवयित्री अनीता मिश्रा सिद्धि ने ढेर सारी पठनीय कविताएं लिख डाली। वर्तमान समय में भी अनीता मिश्रा सिद्धि की कविताएं बहुत प्रासंगिक हैं।
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में आभासी माध्यम से कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किए। अध्यक्षीय टिप्पणी में अनीता मिश्रा ‘सिद्धि’ ने कहा कि कविता, साहित्य की एक विधा है जिसमें भावनाओं, विचारों और कल्पनाओं को लयबद्ध, छंदबद्ध और आलंकारिक भाषा में व्यक्त किया जाता है। यह गद्य से अलग होती है, जो सीधे और वर्णनात्मक होती है।
इस मौके पर हजारी सिंह, इंदु उपाध्याय, घनश्याम काजी, निर्मला कर्ण, तेज नारायण, राज प्रिया रानी आदि ने अपनी कविताओं और ग़ज़ल से मन मोह लिया।
सम्मेलन में पढ़ी गई कविताओं पर समीक्षात्मक टिप्पणी सुप्रसिद्ध शायर योगराज प्रभाकर ने दी। इसी क्रम में उन्होंने अपनी ग़ज़लों से महफिल को रौशन भी किया।

संचालन सिद्धेश्वर एवं अपूर्व कुमार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रभारी राज प्रिया रानी ने दिया।