पटना (बिहार)।
स्त्री विमर्श की कहानी, जनवादी कहानी, प्रगतिशील कहानी, दलित कहानी जैसे तमाम उदबोधन से शोर मचाने वाले कथाकारों से अलग-थलग, कहानी और सिर्फ कहानी यानी आमजन की कहानी लिखने और एकाग्र भाव से चलने वाले कथाकारों में अपनी अलग पहचान बनाने में सक्षम है चितरंजन भारती। इनकी कहानियों को पढ़ते हुए हम कह सकते हैं कि कथा साहित्य के उदयमान नक्षत्र हैं कथाकार चितरंजन भारती। उनके द्वारा पढ़ी गई कहानी ‘करकट’ बाढ़-ग्रस्त ग्रामीण जीवन की यथार्थपूर्ण और मार्मिक प्रस्तुति है।
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में आभासी माध्यम से कथा सम्मेलन का संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किए। अध्यक्षता करते हुए मुख्य अतिथि एवं वरिष्ठ कथाकार चितरंजन भारती ने कहा कि इस सप्ताह में प्रस्तुत एवं कथा सम्मेलन में पढ़ी गई कहानियाँ इस बात का संकेत देती है कि आज भी कहानियाँ समयगत सच्चाइयों को उजागर कर रही है। लेखकों से निवेदन है कि वे बेहतर सृजन करने के लिए कहानी को पढ़ने की आदत डालें। पठित कहानियों पर समीक्षात्मक टिप्पणी देते हुए डॉ. अनीता मिश्रा ‘सिद्धि’ एवं प्रखर समीक्षक योगराज प्रभाकर ने कहा कि साहित्य की कोई भी विधा हो, अच्छी रचनाएं अपना स्थान बना ही लेती है। आज की रचनाओं में भौतिकता अधिक हावी हो रही है, जिससे रचनाकारों को थोड़ा बचना चाहिए।
इस सम्मेलन में १२ कथाकार शामिल हुए, जिनमें प्रमुख अयोध्या उपाध्याय, बालेश्वर गुप्ता, निर्मला कर्ण ऋचा वर्मा रहे। धन्यवाद ज्ञापन प्रभारी ‘सिद्धि’ ने प्रस्तुत किया।