दिल्ली
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भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राजग ने चंद्रपुरम पोन्नुस्वामी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करके एक तीर से अनेक निशाने साधे हैं। भाजपा ने बहुत सोच-समझकर उन्हें इस प्रतिष्ठित पद का उम्मीदवार बनाया है। वे तमिल हैं, पिछडे़ हैं, संघ से जुड़े हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पुराने करीबी एवं साफ-सुथरी छवि वाले राजनायक हैं। भाजपा ने जब उन्हें उम्मीदवार घोषित किया, तो यह केवल राजनीतिक गणित का परिणाम नहीं, बल्कि ऐसे व्यक्तित्व को राष्ट्रीय मंच पर स्थापित करने का निर्णय था, जो सादगी, ईमानदारी और सेवा की पहचान रखते हैं। उनका चयन भारतीय लोकतंत्र की व्यापकता और समावेशिता का जीवंत प्रतीक है।
अब तक भारतीय राजनीति में दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु में भाजपा की जड़ें अपेक्षाकृत कमजोर और सबसे बड़ी चुनौती रही है। उत्तर और पश्चिम भारत में लगातार सफलता के बाद पार्टी चाहती है कि दक्षिण के राज्य भी उसके प्रभाव में आएं। श्री राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं और वहाँ भाजपा के शीर्ष चेहरों में हैं। उनका उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनना भाजपा की यह घोषणा है कि वह दक्षिण भारत को अब हाशिए पर नहीं, बल्कि सत्ता की मुख्यधारा में लाना चाहती है। सी.पी. राधाकृष्णन उत्तर भारत के भाजपा के राजनीतिक गलियारे में राधा जी के नाम से जाने जाते हैं। तमिलनाडु की कोयंबटूर लोकसभा सीट से १९९८ और ९९ के आम चुनावों में भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए सी.पी. राधाकृष्णन ने शालेय जीवन से ही आरएसएस का दामन थाम लिया था। उनके तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं से मधुर संबंध हैं।
उपराष्ट्रपति पद पर उनका चयन ओबीसी समाज को सम्मान और सशक्तिकरण का नया संदेश देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने लगातार इस वर्ग को सशक्त बनाने की दिशा में कार्य किया है। प्रधानमंत्री ने हमेशा ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ की नीति को बल दिया है। श्री राधाकृष्णन का चयन इसी दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। इससे भाजपा को देशभर में ओबीसी समाज का और अधिक समर्थन मिल सकता है। इससे भाजपा की सामाजिक आधारशिला और मजबूत होगी। भाजपा अपने निर्णयों से हमेशा करिश्मा घटित करती रही है, अपनी चतुराई का परिचय देती रही है, सी.पी. राधाकृष्णन का चयन भाजपा की इसी रणनीतिक चतुराई का बड़ा उदाहरण है। इससे पार्टी ने अनेक निशाने साधे हैं- दक्षिण भारत में पैठ बनाना, ओबीसी समाज को साधना, विपक्ष को असहज करना और साफ-सुथरी राजनीति का संदेश देना। यह तय है कि उपराष्ट्रपति के रूप में वे न केवल भाजपा, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए सफल नायक सिद्ध होंगे।
यह भी एक संयोग ही कहा जाएगा कि शीर्ष २ पदों पर विराजमान हस्तियों का नाता झारखंड से रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु देश के सर्वाेच्च पद पर चुने जाने से पहले झारखंड की राज्यपाल रहीं और देश के उपराष्ट्रपति बनने जा रहे सी.पी. राधाकृष्णन भी इसके राज्यपाल रहे हैं। मोदी-शाह का उन पर बड़ा भरोसा रहा है, क्योंकि उन्हें एक समय ३ राज्य के राज्यपाल की जिम्मेदारी थमाई गई थी। अभी उपराष्ट्रपति पद पर ऐसे ही भरोसेमंद, निष्ठाशील एवं जिम्मेदार व्यक्ति की तलाश थी। श्री राधाकृष्णन का अध्ययनशील स्वभाव, शालीन व्यवहार और संतुलित दृष्टिकोण भारत की नरम ताकत को और मजबूत करेगा। उनका व्यक्तित्व भारत की परंपरा, संस्कृति और लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रभावी प्रतिनिधित्व करेगा।
निश्चित रूप से वे उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी को सफलतापूर्वक निभाते हुए आने वाले वर्षों में एक आदर्श और प्रेरक नायक सिद्ध होंगे। जैसा कि पूर्व उप-राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन हमारे आदर्श नायक हैं।
भाजपा ने इनको मैदान में उतारकर विपक्ष के लिए कठिनाई खड़ी कर दी है। उनकी सादगीपूर्ण और निर्दाेष छवि के कारण विपक्ष उनके खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने में हिचकेगा। वे किसी विवाद या कट्टरपंथी राजनीति से दूर रहे हैं, जिससे उनकी स्वीकार्यता सर्वदलीय स्तर पर अधिक है। वे न केवल चुनावी राजनीति में सक्रिय रहे, बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियों से भी जुड़े रहे हैं। इससे भाजपा की यह छवि और प्रखर होगी कि वह स्वच्छ और ईमानदार नेतृत्व को प्राथमिकता देती है।
भाजपा संगठन में लंबे अनुभव के कारण वे राजनीतिक नब्ज को भली-भांति समझते हैं। इससे जनता और सभी दलों में उनकी विश्वसनीयता बनी रहेगी।