लोकार्पण…
भोपाल (मप्र)।
अपने अनुभवों को कौशल से कागज पर उतारने की कला है कविता और यह काम डॉ. महेश कुमार पचौरी ने बखूबी किया है। महेश पचौरी ने शिक्षक के रूप में बच्चों को गढ़ने का कार्य किया है। उन्हें हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
यह उदगार साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश के निदेशक डॉ. विकास दवे ने डॉ. महेश कुमार पचौरी की काव्य पुस्तक ‘समय की लहर’ के लोकार्पण अवसर पर दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय के राज सभागार में व्यक्त किए। वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षक डॉ. पचौरी की पुस्तक के इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बाल साहित्य शोध केंद्र के निदेशक एवं साहित्यकार महेश सक्सेना ने कहा कि यह पुस्तक पठनीय और रोचक है। इसमें विविधता है। डॉ. पचौरी ने पुस्तक में विचारशीलता को उत्कृष्ट आयाम दिया है।
अभा साहित्य परिषद की महामंत्री एवं वरिष्ठ साहित्यकार सुनीता यादव ने कहा कि शिक्षक जब सोचते हैं तो संपूर्ण समाज के उत्थान की बात करते हैं और समाज की नब्ज को बहुत अच्छे से पकड़ते हैं। पकड़ते भी ऐसे हैं कि सारी बीमारियों को जब तक ताड़ नहीं लेते, समाज की नब्ज नहीं छोड़ते हैं।
डॉ. पचौरी ने रचनाओं का पाठ किया और अपनी लेखन प्रक्रिया के बारे में बताया कि मनुष्य सामाजिक प्राणी है, अतः समाज की विडम्बनाओं को कहने का मैंने भरसक प्रयास किया है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. सपना चौबे
ने भी अपनी बात रखी और शुभकामनाएं दी। सरस्वती वंदना विपिन पौराणिक ने प्रस्तुत की।
स्वागत वक्तव्य संग्रहालय की निदेशक डॉ. करुणा राजुरकर ने दिया।
कार्यक्रम में गीतकार मनोज जैन ‘मधुर’, अशोक व्यग्र, दिनकर पाठक और डॉ. रंजना शर्मा आदि साहित्यकार उपस्थित रहे।
रोचक संचालन लघुकथाकार धनश्याम मैथिल ‘अमृत’ ने किया।
पुरुषोत्तम तिवारी ने उपस्थितजनों का आभार माना।