पटना (बिहार)।
बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन इसी वर्ष से आचार्य चंद्र किशोर पाण्डेय ‘निशान्तकेतु’ की स्मृति में ‘आचार्य निशान्तकेतु साहित्य साधना सम्मान’ आरम्भ करेगा। हिन्दी साहित्य में विशिष्ट अवदान के लिए मनीषी विद्वान इसके अधिकारी होंगे।
यह घोषणा सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने गुरुवार को आचार्य निशान्तकेतु के निधन पर सम्मेलन सभागार में आयोजित शोक सभा की अध्यक्षता करते हुए की। डॉ. सुलभ ने कहा कि निशान्तकेतु जी ने भाषा की सेवा और आध्यात्मिक चिंतन बाल्य-काल से ही आरम्भ कर दिया था। विद्यार्थी जीवन में ही ५ स्वर्ण-पदक अर्जित कर चुके थे। अपनी देह छोड़ने से पूर्व उन्होंने १०० से अधिक मूल्यवान ग्रंथों का प्रणयन किया, जिनमें काव्य, उपन्यास, समालोचना, कोश-ग्रंथ, भाषा विज्ञान एवं साक्षात्कार के ग्रंथ आदि सम्मिलित हैं। सम्मेलन के प्रधानमंत्री डॉ. शिववंश पाण्डेय ने कहा कि निशान्तकेतु जैसे लोग मरते नहीं हैं। वे अपनी कृत्यों में सदैव जीवित रहेंगे। सम्मेलन के साहित्य मंत्री भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि निशांतकेतु जी का प्रयाण ऋषि-परंपरा के एक साहित्यर्षि का अवसान है। उन्होंने कई पीढ़ियों को जागृत किया। कार्यकारिणी समिति के सदस्य सिद्धेश्वर ने कहा कि आचार्य निशांतकेतु केवल साहित्यकार ही नहीं, बल्कि साहित्यिक चेतना के प्रवर्तक और भावी पीढ़ियों के मार्गदर्शक भी थे। वे सदा ही निष्पक्ष और मूल्यनिष्ठ बेहतर संपादन के लिए याद किए जाएँगे।