कुल पृष्ठ दर्शन : 34

दोष

पद्मा अग्रवाल
बैंगलोर (कर्नाटक)
************************************

ट्रिंग… ट्रिंग…
“काव्या, हम लोग अपना प्रि-वेडिंग शूट गोवा में कराएंगें।”
“नलिन, पापा राजी नहीं होंगें… कहीं इधर शिवपुरी के आस-पास ही करवा लो।”
“प्रिवेडिंग शूट लाइफ में एक ही बार होता है। इसलिये कम से कम तुम लोगों को मेरी फीलिंग्स का ध्यान तो रखना ही चाहिए। मैंने गोवा डिसाइड कर लिया है। अब मुझे कुछ भी नहीं सुनना। अपने पापा को समझा देना” कह कर उसने फोन काट दिया था।
काव्या ‘हैलो-हैलो’ करती रही थी, पर वह फोन काट चुका था।
वह मायूस हो उठी थी। नलिन हर समय अपनी बात को ऊपर रखता है। वह सोचने लगी कि इसके साथ भविष्य में कैसे निभेगी…!
तभी उसका फोन बज उठा था। उधर नलिन ही था।
काव्या बोली, “मेरी बात को समझो डियर… गोवा हम दोनों शादी के बाद हनीमून के लिए चलेंगें।”
“माई स्वीट हार्ट, इंतजार करो… सरप्राइज दूँगा… अभी पापा खाने पर इंतजार रहे हैं… लव यू…।”
मजबूरी में काव्या के पापा ने बेटी के साथ उसकी कजिन बड़ी बहन को गोवा प्रिवेडिंग शूट के लिए भेज दिया था।
शूट के लिए सी बीच और दूसरी लोकेशंस पर रोमांटिक फोटोग्राफी होती रही थी। सब बहुत खुश थे। रात होने वाली थी, नलिन और काव्या दोनों ही एक-दूसरे से अलग नहीं होना चाहते थे, क्योंकि दोनों ही भावनाओं के वेग में डूब गए थे। दोनों एक-दूसरे से मिलने को बेताब हो रहे थे। जब रात गहरा गई, तभी नलिन ने उसे बाहर आने का इशारा किया था।
दीदी को गहरी नींद में सोता देख काव्या, नलिन के कमरे की ओर खिंची चली गई थी। नलिन भी बाँहें पसारे उसका इंतजार कर रहा था। नलिन के आग्रह को बार बार मना करने के बावजूद जब दोनों ने साथ में जाम टकराए तो नशे की खुमारी और मिलन की मदहोशी के आलम में वह अपना होश खो बैठी थी और दोनों अंतरंग रिश्ता बना बैठे। काफी देर बाद जब उसकी मदहोशी टूटी तो अस्त-व्यस्त कपड़ों को ठीक किया और फिर नलिन की बलिष्ठ बाँहों से खुद को आजाद कर काव्या अपने कमरे में आकर लेट तो गई थी, परंतु मन ही मन अपनी भूल पर बहुत पछता रही थी, लेकिन अब जो कुछ घटित हो गया उसको तो बदला नहीं जा सकता था।
कल सुबह की फ्लाइट थी। काव्या देख रही थी नलिन कुछ उखड़ा- उखड़ा सा लग रहा था। उससे दूर दूर चल रहा था, जैसे पहचानता ही नहीं हो। वह उससे निगाहें भी नहीं मिला रहा था। वह उसकी इस हरकत को कुछ समझ नहीं पा रही थी। दोनों की सीट के बीच में दीदी बैठी हुईं थीं। फोन भी बंद था। वह आँखें बंद कर सोने का नाटक कर रहा था।
वहाँ से लौट कर आने के बाद काव्या नलिन को मैसेज करती तो वह जवाब ही नहीं देता था। फोन करती, तो वह नहीं उठाता।
एक दिन भी नहीं बीता था कि नलिन के पिता ने पापा को बुलाया और कहा, “मेरे बेटे ने किसी वजह से शादी से मना कर दिया है। मैं मजबूर हूँ।”
पापा को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो गया… वह कुछ समझ पाते, इसके पहले ही वह उठ कर अंदर जाने लगे थे।
“आखिर बात क्या है…?”
“अपनी लाड़ली से पूछ लीजिएगा।”
पापा के चेहरे पर उदासी के साथ शर्मिंदगी का भाव था।
“काव्या, तुमने ऐसा क्या कर दिया कि उन लोगों ने रिश्ता ही तोड़ दिया। “
“पापा वह क्या तोड़ेंगें, मैं खुद ही ऐसे बुजदिल लड़के के साथ शादी नहीं कर सकती।”
काव्या सोच रही थी, कि क्या नलिन अंतरंग रिश्तों के समय खुद शामिल नहीं था, क्या उन क्षणों के लिए वह अकेली ही दोषी है…?