विमोचन…
प्रयागराज (उप्र)।
आज ग़ज़ल विधा को लेकर एक तरह से अराजकता फैली हुई है। ऐसे में डॉ. सोमनाथ शुक्ल का ग़ज़ल संग्रह ‘शाम तक लौटा नहीं’ बहुत सुखद अनुभव देता है। छछंद के माहौल में छंदयुक्त ग़ज़लों का सामने आना साहित्यिक समाज के लिए बहुत उल्लेखनीय है।
यह बात गुफ़्तगू की ओर से रविवार को सिविल लाइंस स्थित प्रधान डाकघर में डॉ. सोमनाथ शुक्ल की पुस्तक ‘शाम तक लौटा नहीं’ के विमोचन अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार यश मालवीय ने कही। मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र ने कहा कि आज के भारतीय माहौल में डॉ. शुक्ल ने शानदार ग़ज़लें कही हैं। इनकी ग़ज़लें आज के समाज को रेखांकित करने के साथ ही सचेत भी करती हैं।
गुफ़्तगू के अध्यक्ष डॉ. इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा, कि डॉ. शुक्ल ने ग़ज़ल की बारीकियों और छंद को सीखने के बाद ही ग़ज़लें लिखी हैं। जिसकी वजह से इनकी ग़ज़लों में व्याकरण संबंधी त्रुटियाँ नहीं हैं।
मौक़े पर ग़ज़लकार डॉ. शुक्ल ने कहा कि यह पुस्तक मेरा पहला प्रयास है। मैंने अपने तौर पर पूरी कोशिश की है कि समाज के सामने अच्छी ग़ज़लें पेश कर सकूं।
कार्यक्रम का संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया। दूसरे दौर में कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। अरविन्द कुमार सिंह, विजय लक्ष्मी विभा, अनिल मानव, संजय सक्सेना और शाहिद इलाहाबादी आदि ने कविताएं प्रस्तुत कीं। राजेश कुमार वर्मा ने सबके प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।