ममता साहू
कांकेर (छत्तीसगढ़)
*************************************
नन्हें-नन्हें प्यारे बच्चे,
घर की होते हैं शान
बातें करते प्यारी-प्यारी,
मीठी होती है जुबान।
दुनियादारी से दूर रहते,
सच्ची होती है मुस्कान
दिनभर उछल-कूद करते,
शरारत करना है पहचान।
माता-पिता की आँख के तारे,
दादा-दादी की होते हैं जान
ना किसी से ईर्ष्या, द्वेष,
ना छल-कपट में इनका ध्यान।
बड़े प्रेम से मिलकर रहते,
व्यवहार करते सबसे समान
थोड़े लगते अक्ल के कच्चे,
पर भरा है बहुत ही ज्ञान।
कच्ची मिट्टी होते हैं बच्चे,
हर सांचे में ढलना आसान
ज्ञान की चोट मिले जो इनको,
बनेंगे गांधी, नेहरू और कलाम।
कल के हैं कर्णधार यही,
बढ़ाएंगे देश का मान॥
