प्रति,
माननीय सचिव महोदय,
कार्पोरेट कार्य मंत्रालय,
भारत सरकार,
शास्त्री भवन, नई दिल्ली-११०००१
विषय:-राजभाषा अधिनियम, १९६३ की धारा ३(३) एवं संविधान के अनुच्छेद १४ का घोर उल्लंघन– भारतीय कार्पोरेट कार्य संस्थान द्वारा केवल अंग्रेज़ी में जारी अवैध, असंवैधानिक एवं शून्य भर्ती सूचनाओं के विरुद्ध शिकायत।
महोदय,
राजभाषा अधिनियम १९६३ की धारा ३(३) के अनुसार केंद्र सरकार के अधीन सभी संस्थानों द्वारा जारी भर्ती सूचनाएँ, आवेदन प्रपत्र, निविदाएँ आदि दस्तावेज़ हिन्दी एवं अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में एकसाथ समकालिक रूप से जारी किए जाएँ।
यह द्विभाषिक समकालिकता वैधता की अपरिहार्य शर्त है। केवल अंग्रेज़ी में जारी कोई भी भर्ती सूचना/आवेदन प्रपत्र प्रारंभ से ही अवैध एवं शून्य है तथा उसे जारी करने की कोई अनुमति नहीं दी जा सकती।
अनुच्छेद १४ के अनुसार कानून के समक्ष सभी नागरिकों को समान अधिकार है। भाषा-आधारित भेदभाव अस्वीकार्य है।
केवल अंग्रेज़ी में भर्ती सूचना जारी करना हिंदी-भाषी आवेदकों के साथ घोर भेदभाव है। वे अपनी मातृभाषा में नौकरी की जानकारी न पाने से रोज़गार के अवसरों से वंचित हो जाते हैं, जो अनुच्छेद का स्पष्ट उल्लंघन है।
◾दस्तावेज़ का नाम-
भारतीय कार्पोरेट कार्य संस्थान मानेसर द्वारा विभिन्न संविदा पदों हेतु भर्ती परिपत्र आईआईसीए-२-४४/२०१२ १. १. १.१२.२०२५
पत्रांक: आईआईसीए-२-४४/२०१२ दिनांक:१ दिसंबर २०२५, वर्तमान उपलब्धता:केवल अंग्रेज़ी में
◾उल्लंघन के बिंदु:-
१.धारा ३(३) का उल्लंघन:भर्ती सूचना/वैकेंसी परिपत्र धारा ३(३) के अंतर्गत ‘नोटिस/भर्ती अधिसूचना’ की श्रेणी में आता है, अतः द्विभाषिक होना अनिवार्य है। इसे केवल अंग्रेज़ी में जारी करना प्रत्यक्ष उल्लंघन है।
२.अनुच्छेद १४ का उल्लंघन:केवल अंग्रेज़ी में सूचना देने से हिंदी-भाषी भारतीय नागरिकों को रोज़गार के समान अवसर नहीं मिलते, जो उनके संवैधानिक अधिकार का हनन है।
३.रोज़गार में भेदभाव:हिंदी-भाषी प्रतिभावान उम्मीदवार अंग्रेज़ी भाषा की बाधा के कारण नौकरी के अवसर से वंचित रह जाते हैं, भले ही वे पद के लिए योग्य हों।
४.आवेदन प्रपत्र पूर्णतः अंग्रेज़ी में: संस्थान द्वारा जारी आवेदन प्रपत्र भी पूर्णतः अंग्रेज़ी में है, जिससे हिंदी-भाषी आवेदक निर्देशों को सही तरीके से नहीं समझ पाते।
५.द्विभाषिक समकालिकता का अभाव:न तो हिन्दी संस्करण साथ-साथ जारी किया गया, न ही मंत्रालय/संस्थान की हिन्दी वेबसाइट पर उपलब्ध है, जिससे धारा ३(३) की ‘समकालिकता’ की शर्त पूर्ण नहीं होती।
६.संविदा पदों की सूची: आईआईसीए द्वारा यह भर्ती परिपत्र संविदा पदों के लिए है, जहाँ भाषाई बाधा के कारण प्रतिभा का बहिष्करण होता है।
उपर्युक्त नौकरी परिपत्र एवं आवेदन प्रपत्र निम्नलिखित कारणों से प्रारंभ से ही अवैध एवं शून्य है:-
◾धारा ३(३) की अनिवार्य द्विभाषिक समकालिकता का उल्लंघन।
◾संविधान के अनुच्छेद १४ के तहत रोज़गार के अवसरों में भाषाई भेदभाव।
◾राष्ट्रपति महोदय के ०२-०७-२००८ के आदेशों की खुली अवहेलना।
◾भाषाई आधार पर नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन।
इस अवैध एवं शून्य भर्ती सूचना को जारी करने की कोई अनुमति नहीं दी जा सकती। इस गंभीर उल्लंघन के संदर्भ में निम्नलिखित तत्काल कार्रवाई अपेक्षित है:-
१.भर्ती सूचना को तत्काल निरस्त करें:उपर्युक्त अवैध एवं शून्य नौकरी परिपत्र तत्काल निरस्त किया जाए।
१.द्विभाषिक पुनः-जारी: उसी भर्ती सूचना को हिन्दी एवं अंग्रेज़ी दोनों में एकसाथ एक ही समय में पुनः जारी किया जाए।
३.आवेदन अवधि का विस्तार: आवेदन के लिए पर्याप्त नई अवधि दी जाए, ताकि हिंदी-भाषी भी आवेदन कर सकें।
४.आवेदन प्रपत्र द्विभाषिक बनाएँ: भविष्य में सभी आवेदन प्रपत्र हिन्दी एवं अंग्रेज़ी दोनों में उपलब्ध कराए जाएँ।
५.अनुशासनात्मक जाँच: आईआईसीए के निर्देशन में राजभाषा अधिकारी एवं संबंधित अधिकारियों पर जाँच कराई जाए, जिन्होंने धारा एवं राष्ट्रपति के आदेशों की जानबूझकर अवहेलना की है।
६.भविष्य के लिए आदेश:आदेश जारी किया जाए कि आईआईसीए द्वारा भविष्य में कोई भी भर्ती सूचना केवल द्विभाषिक रूप में ही जारी होगी, अन्यथा वह स्वतः अवैध मानी जाएगी।
७.राजभाषा कार्यान्वयन: आईआईसीए में राजभाषा कार्यान्वयन समिति गठित की जाए तथा त्रैमासिक रिपोर्ट तैयार की जाए।
८.सूचना का अधिकार:इस शिकायत पर की गई समस्त कार्यवाही, जाँच-रिपोर्ट, निर्णय आदि की प्रतियाँ हिन्दी एवं अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में मुझे प्रेषित की जाएँ।
संलग्नक:
◾दिनांकित १.१२.२०२५ का अवैध भर्ती परिपत्र (अंग्रेज़ी में)
◾आवेदन प्रपत्र की पीडीएफ़ (अंग्रेज़ी में)
◾राजभाषा अधिनियम की धारा की लिंक
भवदीय,
अभिषेक कुमार
मप्र
(सौजन्य:वैश्विक हिन्दी सम्मेलन, मुम्बई)