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अटल जी संवेदनशील कवि व्यक्तित्व

डॉ.पूर्णिमा मंडलोई
इंदौर(मध्यप्रदेश)

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श्री अटल बिहारी वाजपेई:कवि व्यक्तित्व : स्पर्धा विशेष……….

राष्ट्रपुरुष,सच्चे देशभक्त,हिमालय-सा विराट व्यक्तित्व,भारत की जनता के हृदय में विराजित अविस्मरणीय अटल बिहारी वाजपेयी एक सफल राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ कवि हृदय भी थे। उन्हें अपने पिता से विरासत में स्वत: ही काव्य रचना का गुण मिला था। अटल जी की रग-रग में काव्य बसता था।
अटल जी बहुत ही संवेदनशील व्यक्ति थे। उनके ह्रदय में जो भी उद्गार,पीड़ा या संवेदनाएं होती थी,वे उसे कविता के माध्यम से व्यक्त करते थे। संवेदनाएं किसी गरीब के प्रति हो,राष्ट्रप्रेम के लिए हो या युवाओं में जोश भरने के लिए हो। उनकी कविताएं ओजस्वी,वीर रस से युक्त होती थी। उनकी कुछ कविताएं दिल को छू जाती हैं। भाषण कला में निपुण और वाणी में ओज होने से कई बार सदन में विरोधियों को जवाब देते वक्त या आम सभाओं में भाषण देते वक्त उत्तेजित होकर कविताएं सुनाने लगते थे।
अटल जी की सर्वप्रथम कविता ताजमहल थी,जिसमें उन्होंने ताजमहल को बनाने वाले कारीगरों के शोषण और उनके दर्द को उजागर किया-
ताजमहल,यह ताजमहल, कैसा सुंदर अति सुंदर तर। जब रोया हिंदुस्तान सकल, तब बन पाया यह ताजमहल।

उन्होंने किशोरावस्था में ही देश हित में कविता लिख दी थी-
हिंदू तन-मन हिंदू जीवन, रग-रग हिंदू मेरा परिचयl

राजनीति और देशप्रेम के प्रति उनकी संवेदनशीलता बहुत अधिक थी,इसलिए उन्होंने देशभक्ति की कविताएं अधिक लिखी। आजादी को पाकर भी वे संतुष्ट नहीं थे और इसलिए पन्द्रह अगस्त का दिन कहता कविता में उन्होंने आजादी को परिभाषित कर अपनी वेदना को व्यक्त किया-
आज़ादी अभी अधूरी है। सपने सच होने बाकी है, रावी की शपथ न पूरी है॥ जिनकी लाशों पर पग धरकर आज़ादी भारत में आई, वे अब तक हैं खानाबदोश ग़म की काली बदली छाई॥

राष्ट्र मार्गदर्शक की भूमिका के रूप में देश प्रेमी युवाओं के लिए कदम मिलाकर चलना होगा कविता की रचना की-

बाधाएं आती हैं आएं घिरें प्रलय की घोर घटाएं, पाँवों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं, निज हाथों में हँसते-हँसते आग लगाकर जलना होगा। कदम मिलाकर चलना होगा। कुछ कांटों से सज्जित जीवन, प्रखर प्यार से वंचित यौवन, नीरवता से मुखरित मधुबन, परहित अर्पित अपना तन-मन, जीवन को शत-शत आहुति में, जलना होगा,गलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा।

भारत माँ के सच्चे सपूत अटल जी ने अपनी कविता में भारत को विश्वगुरु बताया है- मैं अखिल विश्व का गुरू महान, देता विद्या का अमर दान, मैंने दिखलाया मुक्ति मार्ग, मैंने सिखलाया ब्रह्म ज्ञान।

अटल जी की ऐसी ही कई कविताएं पत्थरों में जान फूंक देती हैं। युग पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी की लिखी कविताएं आज भी प्रासंगिक हैं। किसी भी कविता को पढ़ने पर ऐसा लगता है कि,आज के समय के लिए ही लिखी गई है। इन कविताओं को सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। युवाओं में नया उत्साह और जोश पैदा होता है। उनकी कुछ कविताओं में जीवन दर्शन साफ दिखाई देता है। इन कविताओं को युगों-युगों तक पढ़कर अटल जी को याद किया जाएगा।

परिचय–डॉ.पूर्णिमा मण्डलोई का जन्म १० जून १९६७ को हुआ है। आपने एम.एस.सी.(प्राणी शास्त्र),एम.ए.(हिन्दी) व एम.एड. के बाद पी-एच. डी. की उपाधि(शिक्षा) प्राप्त की है। डॉ. मण्डलोई मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित सुखलिया में निवासरत हैं। आपने १९९२ से शिक्षा विभाग में सतत अध्यापन कार्य करते हुए विद्यार्थियों को पाठय सहगामी गतिविधियों में मार्गदर्शन देकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिलाई है। विज्ञान विषय पर अनेक कार्यशाला-स्पर्धाओं में सहभागिता करके पुरस्कार प्राप्त किए हैं। २०१० में राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान (जबलपुर) एवं मध्यप्रदेश विज्ञान परिषद(भोपाल) द्वारा विज्ञान नवाचार पुरस्कार एवं २५ हजार की राशि से आपको सम्मानित किया गया हैL वर्तमान में आप सरकारी विद्यालय में व्याख्याता के रुप में सेवारत हैंL कई वर्ष से लेखन कार्य के चलते विद्यालय सहित अन्य तथा शोध संबधी पत्र-पत्रिकाओं में लेख एवं कविता प्रकाशन जारी है। लेखनी का उद्देश्य लेखन कार्य से समाज में जन-जन तक अपनी बात को पहुंचाकर परिवर्तन लाना है।

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