आशा आजाद`कृति`
कोरबा (छत्तीसगढ़)
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श्री अटल बिहारी वाजपेई:कवि व्यक्तित्व : स्पर्धा विशेष……….
अटल बिहारी नाम,देश के सच्चे नेता।
अनुपम सारे कर्म,जगत के श्रेष्ठ प्रणेता।
कवि कहलाते श्रेष्ठ,सृजन अनुपम लिख छोड़ा।
जनहित अरु उत्थान,प्रेम से सबको जोड़ा।
शब्द-शब्द में जोश है,कविता सब अनमोल है।
सत्य पथिक बनकर चलें,सुंदर उनके बोल हैll
देशभक्ति का भाव,सृजन में उनके बसता।
उनकी थी बस चाह,देश में हो समरसता।
सुंदर कविता एक,पुनः चमकेगा दिनकर।
सृजन भाव अनमोल,श्रेष्ठ कहलाते कविवर।
कदम मिलाकर वो चले,देशहित के कर्म थे।
मानवता के बोल थे,हृदय भाव से मर्म थेll
सुंदर कृति में एक,नाम जिसका ऊँचाई।
सृजन पड़ोसी नेक,लड़ो मत भाई भाई।
हिरोशिमा का पीर,हृदय से निकला सुंदर।
अंतर डाल प्रभाव,सृजन पढ़ते रह-रहकर।
क्षमा याचना कर रहे,गाँधी के पथ राह को।
नेक सोच सब तोड़ते,बाँध रखा जो चाह कोll
परिचय–आशा आजाद का जन्म बाल्को (कोरबा,छत्तीसगढ़)में २० अगस्त १९७८ को हुआ है। कोरबा के मानिकपुर में ही निवासरत श्रीमती आजाद को हिंदी,अंग्रेजी व छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान है। एम.टेक.(व्यवहारिक भूविज्ञान)तक शिक्षित श्रीमती आजाद का कार्यक्षेत्र-शा.इ. महाविद्यालय (कोरबा) है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आपकी सक्रियता लेखन में है। इनकी लेखन विधा-छंदबद्ध कविताएँ (हिंदी, छत्तीसगढ़ी भाषा)सहित गीत,आलेख,मुक्तक है। आपकी पुस्तक प्रकाशाधीन है,जबकि बहुत-सी रचनाएँ वेब, ब्लॉग और पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं। आपको छंदबद्ध कविता, आलेख,शोध-पत्र हेतु कई सम्मान-पुरस्कार मिले हैं। ब्लॉग पर लेखन में सक्रिय आशा आजाद की विशेष उपलब्धि-दूरदर्शन, आकाशवाणी,शोध-पत्र हेतु सम्मान पाना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जनहित में संदेशप्रद कविताओं का सृजन है,जिससे प्रेरित होकर हृदय भाव परिवर्तन हो और मानुष नेकी की राह पर चलें। पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामसिंह दिनकर,कोदूराम दलित जी, तुलसीदास,कबीर दास को मानने वाली आशा आजाद के लिए प्रेरणापुंज-अरुण कुमार निगम (जनकवि कोदूराम दलित जी के सुपुत्र)हैं। श्रीमती आजाद की विशेषज्ञता-छंद और सरल-सहज स्वभाव है। आपका जीवन लक्ष्य-साहित्य सृजन से यदि एक व्यक्ति भी पढ़कर लाभान्वित होता है तो, सृजन सार्थक होगा। देवी-देवताओं और वीरों के लिए बड़े-बड़े विद्वानों ने बहुत कुछ लिख छोड़ा है,जो अनगिनत है। यदि हम वर्तमान (कलयुग)की पीड़ा,जनहित का उद्धार,संदेश का सृजन करें तो निश्चित ही देश एक नवीन युग की ओर जाएगा। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा से श्रेष्ठ कोई भाषा नहीं है,यह बहुत ही सरलता से मनुष्य के हृदय में अपना स्थान बना लेती है। हिंदी भाषा की मृदुवाणी हृदय में अमृत घोल देती है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की ओर प्रेम, स्नेह,अपनत्व का भाव स्वतः बना लेती है।”