‘संवेदनाओं की गूँज’ हेतु रचना अपेक्षित

हरिद्वार (उत्तराखंड)। 'वैदिक प्रकाशन' (हरिद्वार) द्वारा काव्य संग्रह 'संवेदनाओं की गूँज' प्रकाशित किया जाना है। इस निमित्त १० जून तक रचना भेजने का अंतिम अवसर है।सम्पादक व सहायक युगपुरुष कविवर…

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रामायण केन्द्र जबलपुर २३ जून को करेगा कार्यक्रम

बैठक... जबलपुर (मप्र) |   रामायण केंद्र जबलपुर इकाई के कार्यकारिणी समिति के सदस्यों की बैठक हुई। प्रारंभ में २३ जून सोमवार को रानी दुर्गावती म्यूज़ियम (भंवरताल गार्डन) स्थित कला…

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डॉ. जया सुभाष बागुल को ‘हिंदी रत्न सम्मान’

जबलपुर (मप्र)। हिंदी के प्रचार-प्रसार व साहित्य सेवा में लगे कवि-कवयित्रियों को निरंतर सम्मानित करने के क्रम में गणेश श्रीवास्तव (संस्थापक सशक्त हस्ताक्षर संस्था) व कवि संगम त्रिपाठी (संस्थापक प्रेरणा…

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पर्यावरण का नुकसान

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** मेरी रूह रोती है कांप-कांप कर,देख के पर्यावरण का नुकसानचिन्ता लगी है मन में इक भरी कि,हो न जाए कहीं यह धरती श्मशान। दया आती है…

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ससुराल के बीते दिन

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* स्वर्णिम युग ससुराल का, याद करे दामाद।पर अब कुछ भी है नहीं, केवल है अवसाद॥ ख़ातिरदारी है नहीं, अब सूना मैदान।बिलख रहे दामाद जी, रुतबे का…

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‘यूके में हिंदी:विविध आयाम’ वार्ता ६ जून को

दिल्ली। हिंदी पत्रकारिता के २००वें वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह-२०२५ के अंतर्गत ‘यूके में हिंदी:विविध आयाम’ विषयक वार्ता का आयोजन ६ जून को शाम को होगा।…

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बढ़ते रहिए जीवन में

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* बढ़ते रहिए, जीवन में कुछ न कुछ करते रहिए,हिन्दी-हिन्दुस्तान प्रगति पथ गढ़ते रहिएपरमार्थ निकेतन लक्ष्य कर्मपथ संघर्षों,यायावर हमसफ़र राष्ट्र पथ बढ़ते रहिए। अरमानों उत्तुंग…

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दौड़ती थी सरपट

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* साईकिल दिन की संध्या पर मुझे याद आ रही है मेरी वो साईकिल,जिसके प्यार में मैं सालों तक रहा डूबा,और कहीं नहीं लगता था दिलअगर माँ…

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कुसुमलता

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** 'कुसुमलता' नाम था उसका,पूरी सोसायटी में कोई ऐसा नहीं था, जिसे उसका नाम न पता हो।वो थी ही ऐसी, साफ-सुथरे कपड़े पहनती, सबका यथायोग्य आदर करती, सब…

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कश्ती कागज की

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** अधजल गगरी छलकत जाय प्रणय,मिलन की आस में जीवन की रवानी। कागज की कश्ती बारिश का पानी,वो यादें बचपन की सुहानी। सुनाती जब नानी और…

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