अपमान…कुछ शेष नहीं
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* कुछ शेष नहीं बचा है मन में, मैं भूल गई हूँ सब कुछ,फिर से क्यों याद दिलाते हो, जब भूल चुकी सब कुछ। हृदय में प्यार का परिंदा था, जो उड़कर चला गया,मैं नादान बावरी, के दिल साथ लेकर चला गया। प्यारा परिंदा, बांध के गया मुझको प्यार की जंजीर से,क्यों … Read more