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हिंदी भाषा सागर के समान

इंदौर (मप्र)।

हिंदी भाषा सागर के समान है। इसमें शब्दों के अनंत मोती समाए हुए हैं। ‘विश्व हिंदी दिवस’ के अवसर पर श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति में आयोजन किया गया, जिसमें हिंदी भाषा, साहित्य में देवनागरी लिपि, भारत में हिंदी, भारत के बाहर विदेशों में हिंदी की स्थिति एवं हिंदी के बढ़ते चरणों के साथ हिंग्लिश पर भी उपस्थितजनों ने विचार व्यक्त किए। अध्यक्षता कर रहे लेखक और शिक्षाविद डॉ. पुष्पेंद्र दुबे ने कहा कि हिंदी भाषा सागर के समान है। संचालन कर रहे पुस्तकालय मंत्री हरेराम वाजपेयी ने राष्ट्रभाषा, राजभाषा, हिंदी दिवस, विश्व हिंदी दिवस एवं विश्व हिंदी सम्मेलनों के बारे में सारगर्भित जानकारियाँ दी। कैलाश चंद जैन ने व्यवसायिक शिक्षा में हिंदी, गीता नामदेव ने हिंदी के प्रयोग तथा साहित्यकार मुकेश तिवारी ने हिंदी प्रयोग से बढ़ेगी हिंदी, तथा डॉ. कला जोशी ने विश्व हिंदी सम्मेलन (मारीशस) पर विचार रखे। लेखक सदाशिव कौतुक ने हिंदी के प्रति समर्पण पर बात की। कवि प्रदीप ‘नवीन’, हरीश शर्मा, अनिल ओझा, सुभाष शर्मा आदि ने हिंदी संदर्भित रचनाएं सुनाई। इस अवसर पर महारानी लक्ष्मीबाई शासकीय कन्या महाविदयालय से आई छात्राओं ने कहा कि, हिंदी के बारे में जानकर बहुत आनंद हुआ। इस अवसर पर घनश्याम यादव, अनिल भौजे, राकेश कुमार शर्मा, अरविंद ओझा आदि सुधीजन उपस्थित रहे। आभार संतोष मोहंती ने व्यक्त किया।

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