प्रेमगीत
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से जीवन में वरदान प्रेम है,है उजली इक आशा।अंतर्मन में नेह समाया,नहीं देह की भाषा॥ लिये समर्पण,त्याग औ' निष्ठा,भाव सुहाने…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से जीवन में वरदान प्रेम है,है उजली इक आशा।अंतर्मन में नेह समाया,नहीं देह की भाषा॥ लिये समर्पण,त्याग औ' निष्ठा,भाव सुहाने…
राजेश मेहरोत्रा 'राज़'लखनऊ(उत्तरप्रदेश)*************************** काव्य संग्रह हम और तुम से ए काश ! तेरी जुल्फ़ें महकी हो हल्की-हल्की।मध्यम-सी रोशनी में हो चाल बहकी-बहकी। सागर से गहरी आँखें उसपे घटा का काजल,झीना-सा…
रेखा बोरालखनऊ (उत्तर प्रदेश)********************************* काव्य संग्रह हम और तुम से रात भर,सरगोशी करती हैतुम्हारी आवाज़कानों में मेरे,अधूरी नींद से चौंक करउठकर बैठ जाती हूँ मैं,यूँ लगा अभी-अभीतुम्हारा सायाझुका था मुझ…
रेणु झा ‘रेणुका’राँची(झारखंड)************************************** काव्य संग्रह हम और तुम से एक ख्वाहिश है साजनतेरे दिल में रहना है,तेरे नयनों के दर्पण मेंबनना संवरना है,तुम देखना हो कर बेकरार…जैसे कल ही हुआ…
रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ काव्य संग्रह हम और तुम से चलो नज़रें दो-चार करते हैं।एक-दूसरे से प्यार करते हैं। बहुत जी चुके तक़रार प्यार में,अब सरेआम इज़हार करते हैं। जिस्त से हटाओ…
रौशनी अरोड़ा ‘रश्मि’ दिल्ली ********************************************* काव्य संग्रह हम और तुम से कहीं लग जाए न नज़र,तुझे किसी की दिलबरइसलिए छुपा रखा है तुझे,मैंने दुनिया की नज़रों से,दिल के किसी कोने…
रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ ये चाँद किसने टांक दिया है आसमान पर।के रश्क़ आ रहा है मेरे सायबान पर। नज़र कभी चाँद पर कभी सनम पर जाती है,के प्यार आ रहा है…
विनय कुमार सिंह 'विनम्र' चन्दौली(उत्तरप्रदेश)***************************** जनवरी में जाड़े का अहसास देखो,अंगीठी है किसके जरा पास देखोशरीरों पे कपड़ों का मेला सजा है,खूंटी पे देखो बस हैंगर टंगा है। गरीबों को देखो…
डॉ. पंकज वासिनीपटना (बिहार) ******************** काव्य संग्रह हम और तुम से हमबता नहीं सकते,कितना अच्छा लगता था…तेरा आँखों से छूना…lलम्हा-दर-लम्हा…चुपचाप…सस्मित…!और,रोम-रोम मेरा पुलकित…lहृदय-वीणा पर,बज उठता मालकौश…!मन-मयूर नर्तित…,स्वप्न-अंजित-नयन सस्मित…lअरुण-मुख लाज-नत…और रुक जाते…
डॉ.पूर्णिमा मंडलोईइंदौर(मध्यप्रदेश) ******************************** काव्य संग्रह हम और तुम से कुछ तुम मुझसे कहो,कुछ मैं तुमसे कहूंहम-तुम साथ साथ यूँ ही,प्यार भरे संवाद करते रहें। कुछ धागा तुम बुनो,कुछ तागा मैं…