कुल पृष्ठ दर्शन : 232

You are currently viewing बसन्त सुखदाई

बसन्त सुखदाई

डॉ.शैल चन्द्रा
धमतरी(छत्तीसगढ़)
****************************************

धरा ने धानी चुनर है लहराई,
देख पवन भी है मुस्कुराई।

टेसू पलाश खिलने लगे,
पीत सरसों गले मिलने लगे।

अमराई में कोयल गाये,
आम्र मंजरियाँ मन को भाए।

छेड़े तान पपीहा हरजाई,
ऋतु बसन्त मन को हरषाई।

फूल-फूल पर भम्रर मंडराए,
प्रीत डोर लिए चली पुरवाई।

मौसम ने ली है अंगड़ाई,
आया बसन्त देखो सुखदाई॥

परिचय-डॉ.शैल चन्द्रा का जन्म १९६६ में ९ अक्टूम्बर को हुआ है। आपका निवास रावण भाठा नगरी(जिला-धमतरी, छतीसगढ़)में है। शिक्षा-एम.ए.,बी.एड., एम.फिल. एवं पी-एच.डी.(हिंदी) है।बड़ी उपलब्धि अब तक ५ किताबें प्रकाशित होना है। विभिन्न कहानी-काव्य संग्रह सहित राष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में डॉ.चंद्रा की लघुकथा,कहानी व कविता का निरंतर प्रकाशन हुआ है। सम्मान एवं पुरस्कार में आपको लघु कथा संग्रह ‘विडम्बना’ तथा ‘घर और घोंसला’ के लिए कादम्बरी सम्मान मिला है तो राष्ट्रीय स्तर की लघुकथा प्रतियोगिता में सर्व प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त किया है।सम्प्रति से आप प्राचार्य (शासकीय शाला,जिला धमतरी) पद पर कार्यरत हैं।

Leave a Reply