मूल्यों को बढ़ावा देना
ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* छल-कपट और ईर्ष्या-द्वेष,बड़ा विकराल है इनका वेश। सब-कुछ कर देता है नाश,नही रह जाता कुछ भी शेष। बचकर रहना हर अवगुण से,सदाचार को अपनाना। अगर किसी से…
ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* छल-कपट और ईर्ष्या-द्वेष,बड़ा विकराल है इनका वेश। सब-कुछ कर देता है नाश,नही रह जाता कुछ भी शेष। बचकर रहना हर अवगुण से,सदाचार को अपनाना। अगर किसी से…
राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** ईश्वर की इच्छा से ही संसार में सब कुछ होता है,कुछ लोगों की ज़िंदगी से, यही सत्य उजागर होता हैकोई मूक-बधिर होता है तो कोई नेत्रहीन पैदा…
डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** मैं हूँ छह साल की बच्ची, बोलो क्या है दोष।बलात्कार को झेल रही हूँ, मुझ पर क्यों है रोष॥ नटखट मेरी सोच जान लें, कुटिल पाप…
पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ “मिहिर, मैंने आपके कपड़े और टिफिन बैग में रख दिए हैं।”उसने आँखों ही आँखों में प्यारी पत्नी मानी को अपनी कोठरी के अंदर आने का इशारा किया…
पी.यादव ‘ओज’झारसुगुड़ा (ओडिशा)********************************************** जीवन में सदा 'सम्मान' कभी क्या,कर्म की गति को कभी तार पाता है ?हर कर्म का होता है हिसाब बराबर,कर्म साथ-साथ ही सदा संग जाता है। खाली…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** सब हों कुशल सब स्वस्थ हों,सबका प्रभु कल्याण होसबका करो तुम हित प्रभु,सिर पर तुम्हारा हाथ हो। भूले हैं जो निज मार्ग को,समझें वे अपने सत्व कोगरिमा…
गाजियाबाद (उप्र)। कवि व पत्रकार राज कौशिक द्वारा प्रसिद्ध कवियों-शायरों की महफिल जमाने की कड़ी में शनिवार को गाजियाबाद के कवि नगर स्थित जानकी सभागार में कवि सम्मेलन एवं मुशायरा…
डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’बांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* अनुभव से जो सीखते, कभी न खाते मात।काम बड़े करते सदा, हो जाते विख्यात॥हो जाते विख्यात, विनय को धारण करते।पाते आदर मान, कष्ट सबका वो…
ललित गर्ग दिल्ली*********************************** दुनियाभर में माता-पिता आमतौर पर अब तक बेटियों की तुलना में बेटों को ज्यादा पसंद करते आ रहे हैं, लेकिन प्राथमिकताओं को लेकर वैश्विक दृष्टिकोण में एक…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* पिता के वे ही कंधे हो जाते हैंबुढ़ापे में कमज़ोर,जिन पर बिठाकर उसनेअपनी संतानों को दिखाया है मेला,घुमाया है बाज़ार मेंदिखाये हैं जुलूस,जिस पर बैठकर सदा…