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तारों की नजर से

 

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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जाती रजनी तिमिर कालिमा,
छा रही छोर भोर लालिमा।

है ठहरा हुआ एक तारा,
सुदूर नील आसमां हारा।

करे धरा अवलोक कर ध्यान,
उड़ते पखेरू की ऊँचान।

खिलती कैसे कुसुम कलियाँ,
जमें पिघले गिरी श्रेणियां।

सिंधु गरज कैसे लहराया,
झरने नीर कहाँ से आया।

नदी सिंधु डाली वरमाला,
कहाँ गया वो लावा ज्वाला।

तितली ने घर किधर बनाई,
हवा कहां से उड़ आई।

छुपी चुप रहती है आसान,
कैसे हो जाती है गतिमान।

झड़ते सूखे पित पर्ण जमा,
कैसे लहराती हरीतिमा।

सुबकत रजनी देखी विदयमान।,
देखूँ जगती चलती प्रतिमा॥

परिचय-ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।