कन्यारूपी देवी

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* कन्या तो है देवीरूपा,सबके दुख को हरती है।बेटी प्रति अनुराग लुटाओ,वो जगमग जग करती है॥ बेटी में दुर्गा,काली है,बेटी सचमुच दिव्या है।बेटी तो है भजन-आरती,बेटी नित ही भव्या है।कन्याओं की देखभाल हो,रौनक उनसे झरती है,बेटी प्रति अनुराग लुटाओ,वो जगमग जग करती है…॥ बेटी तो है जग की शोभा,घर का एक खिलौना … Read more

नौ रूपों की वंदना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* माता के नौ रंग (नवरात्रि विशेष)…. तम को हरने वाली माता,आज उजाला कर दे।धर्म,नीति में जो हैं रहते,उनको अब तू वर दे॥ नौ रूपों में तू तो माता,आशीषें ले आती,सुख-वैभव देकर भक्तों को,दुक्ख सभी ले जाती।भटक रहे जो फुटपाथों पर,उनको अब तू घर दे,धर्म,नीति में जो हैं रहते,उनको अब तू वर … Read more

मुझको राह दिखाती मैया मूरत तेरी

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ माता के नौ रूप (नवरात्रि विशेष)… मैया कैसे चढ़ूं पहाड़,है डगरिया तेरी कटीली।पत्थर, कंकड़, झाड़ी-झंखड़,तिस पर राह अँधेरीगिरूं, पड़ूं चढ़ती ही आऊँ,लगन लगी है मेरी।मुझको राह दिखाती जाय,मैया मूरत तेरी छबीली॥ अगर चंदन की महक रिझाये,तेरी डगर जो आऊंलड्डू पेड़े सजे बताशे,ध्वजा नारियल पाऊँ।चुनर कैसे करूं पसन्द,एक से बढ़कर एक रंगीली॥ आ ही … Read more

मानवता जीवन की शोभा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* प्रेम-नेह को जब बाँटोगे, तब जीने का मान है।मानवता जीवन की शोभा, मिलता नित यशगान है॥ जाति-पाँति में क्या रक्खा है,ये बेमानी बातें हैं,मानव-मानव एक बराबर,ऊँच-नीच सब घातें हैं।नित बराबरी को अपनाना, यह प्रभु का जयगान है,मानवता जीवन की शोभा, मिलता नित यशगान है…॥ दीन-दुखी के अश्रु पौंछकर,जो देता है सम्बलपेट … Read more

बने मातृ भाषा जन-जन की

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************************** हिंदी और हमारी जिंदगी… हिन्द देश के हैं हम वासी,हिन्दी सबकी जान है।अपनी संस्कृति जीवित इनसे,इनसे ही पहचान है॥ संस्कृत से उद्गम यह भाषा,जीवन यही सँवारती।बने मातृ भाषा जन-जन की,चलो उतारें आरती॥देवनागरी लिपि है सुन्दर,इन पर ही अभिमान है।हिन्द देश के हैं हम वासी… सहज सरल भाषा है हिन्दी,वर्णों का … Read more

जीवन भर सुख पाते

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* श्राद्ध पक्ष विशेष… श्राद्ध-कर्म से पितृ हमारे,परम तुष्ट हो जाते।पितरों के आशीषों से हम,जीवन भर सुख पाते॥ श्राद्ध-कर्म इक चेतना,यह तो पावन काम,श्राद्ध-कर्म नित मांगलिक,पुरखों का है धाम।आशीषें जब नित झरें,वंशज हों सम्पन्न,पुरखों की होती दया,हम नहिं कभी विपन्न।श्रद्धा से हम भरकर सारे,श्राद्ध-कर्म रम जाते,पितरों के आशीषों से हम,जीवन भर सुख … Read more

हिन्दी दिवस सजाएं..

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* हिन्दी और हमारी जिंदगी…. हिन्दी दिवस सजाएं, खुशियाँ सदा मनाएं।भारत की शान है ये, दुनिया में सब बताएं॥ थी चौदहवीं सितम्बर, उन्नीस सौ उनन्चास्,अधिकार राजभाषा, का मिल गया बुझी प्यास।भारत में सब तभी से, इस पर्व को मनाएं,हिन्दी दिवस सजाएं…॥ भारत वतन की हिन्दी, सारा जहान बोले,कितना है प्रेम … Read more

हिंदुस्तान हमारा है

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************************************** जाग उठो ऐ वीर जवानों,हिंदुस्तान हमारा है।सबक सिखा दो अरि को रण में,जिसने भी ललकारा है॥ आँख नोंच लेना तुम उनकी,जो भी आँख लड़ाते हो।हाथ तोड़ कर रख देना तुम,जो भी हाथ बढ़ाते हो॥राम-रहीम खुदा की धरती,हमने आज सँवारा है।जाग उठो ऐ वीर जवानों,… अपनी शक्ति दिखा दो उनको,नहीं किसी … Read more

राम कृष्ण की धरती

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)******************************************************************** राम कृष्ण की जन्म भूमि पर,क्यों होता है अत्याचार।हर पल हर क्षण यहाँ खून का,होता रहता क्यों व्यापार॥ इतना बड़ा मुल्क है फिर भी,छाया रहता क्यों आतंक।जुल्म सितम क्यों ढााते हैं सब,राजा चाहे या हो रंक॥मासूमों का हृदय धड़कता,सहमा-सहमा सा संसार।राम कृष्ण की जन्म भूमि पर… इतनी हिम्मत सेना को … Read more

नव किरणें बिखराओ

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* विघ्नहर्ता गजानंद विशेष…. हे विघ्नविनाशक, बुद्धिप्रदायक, नीति-ज्ञान बरसाओ।गहन तिमिर अज्ञान का फैला, नव किरणें बिखराओ॥ कदम-कदम पर अनाचार है,झूठों की है महफिल।आज चरम पर पापकर्म है,बढ़े निराशा प्रतिफल॥एकदंत हे! कपिल-गजानन, अग्नि-ज्वाल बरसाओ,गहन तिमिर अज्ञान का फैला,नव किरणें बिखराओ…॥ मोह, लोभ में मानव भटका,भ्रम के गड्ढे गहरे।लोभी, कपटी, दम्भी हँसतेहैं विवेक पर … Read more