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सपनों का भारत

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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गाँधी-शास्त्री जयंती विशेष…

बापू तेरे सपनों का भारत,
आज बड़ी मुश्किल में है।
सत्य अहिंसा तुझको पाने,
ढूंढे हर महफ़िल में है॥
बापू तेरे सपनों का भारत…

सच है बोझिल, सच है प्रताड़ित,
सच भी सच में घबराए।
सत्य ही जयते कहते सब जन,
पीड़ा सच की समझ न पाए।
झूठ के आगे सिमटा सच है,
झूठा सच को आँख दिखाए।
झूठ का देखो चलता सिक्का,
सच दुबका किसी दिल में है।
बापू तेरे सपनों का भारत…॥

हर जन, मन में कूड़ा क्यों है,
अपने ही कर्म से मुड़ा क्यों है ?
भीड़ में ही वो डरता रहता,
मन ही मन वो रूठा क्यों है ?
करुणा मन की सूख चुकी क्यों,
मदद को घायल बैठा क्यों है ?
हिंसा भीड़ की तांडव खेले,
बचना कहाँ घुस बिल में है।
बापू तेरे सपनों का भारत…॥

तन को साबुन जम-जम मलते,
मन के मैल का ध्यान नहीं।
घर का कचरा बाहर फेंके,
भारत स्वच्छता मान नहीं।
कपड़े तन पर उजले-उजले,
धरा गन्दगी भार दबे।
स्वच्छ-सिपाही अछूत ही बनकर,
कचरे के शामिल में है।
बापू तेरे सपनों का भारत…

पिज्जा-बर्गर जीभ चढ़े है,
पौष्टिक भोजन पड़ा सड़े है।
युवा अपने क्लबों में खोकर,
नशे में आप ही जा गड़े है।
घर की शक्कर कड़वी लगती,
परदेशी गुड़ माल हुआ।
स्वदेशी कूड़े सम बिकता,
माल विदेशी अब दिल में है।
बापू तेरे सपनों का भारत…

दो के बदले पाँच कमाए,
पाँच के ऊपर दस मिल जाए।
कुर्सी सारा खेल ये खेले,
वेतन भले ही कम मिल जाए।
कम तोल कर ज्यादा कमाए,
माल भले मिट्टी, बिक जाए।
भ्रष्टता अपने चरम पे चढ़ गई,
ईमान चढ़ा बस बिल में है।
बापू तेरे सपनों का भारत…

एक सीमा पे करे रखवाली,
एक का मन खुशियों से खाली।
खेत, रणखेत के मालिक दोनों,
फिर भी बने हुए हैं हाली।
खून-पसीने से सींच-सींच कर,
धरती को जो स्वर्ग बनाए।
उस किसान और उस जवान का,
मन डूबा, गाफिल में है।
लालजी तेरे सपनों का भारत,
आज बड़ी मुश्किल में है।
दुखियारा अब तुझको पाने,
ढूंढे हर महफ़िल में है॥

बापू तेरे सपनों का भारत,
आज बड़ी मुश्किल में है।
सत्य अहिंसा तुझको पाने,
ढूंढे हर महफ़िल में है॥

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार ‘अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि १७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान बूंदी (राजस्थान) है। आप बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान आदि मिले हैं।

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