कर्मों से जीवन खिलता
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ***************************** रचनाशिल्प:२१२२ २११२ २२२२ २२२२ जन्म मिलता मात-पिता से, कर्मों से जीवन खिलता।रूप प्रभु का मात-पिता में, जिसने देखा वो खिलता॥ भाव श्रद्धा प्रेम बनें…
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ***************************** रचनाशिल्प:२१२२ २११२ २२२२ २२२२ जन्म मिलता मात-पिता से, कर्मों से जीवन खिलता।रूप प्रभु का मात-पिता में, जिसने देखा वो खिलता॥ भाव श्रद्धा प्रेम बनें…
आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* हमें तुम भुलाकर दगा तो न दोगे।मुझे गम थमाकर रूला तो न दोगे॥ कभी हो सताते कभी हो रुलाते,मिलन आस कितनी सुनो हम बताते।हाथ आगे बढ़ाकर…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** आओ मिलकर पेड़ लगायें,धरती का आँगन महकायें। जीवन दाता वृक्ष हमारे,प्राण वायु देते हैं सारे।वृक्ष हमें सुख छाया देते,बदले में कुछ भी नहिं लेते। बनते हैं…
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ तलवारें खींचे पर आँखों को मींचे,नफरत के फटे शामियानों के नीचे।बंद करो अंधा संग्राम,भाई का भाई के नाम॥ आयातित ढोल और आयातित ताशे,अपनी सीमाओं पर हो रहे तमाशेशहर-शहर…
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ प्रकृति परी तुम नाचो गाओ,और मुझे भी गाने दो। उठने दो तुम तरल तरंगें,मेरे भी उद्गारों मेंकरो न रूपसी कमी अल्प भी,दिये हुये उपहारों में।सरिता बन लहराना चाहूं,तो…
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ***************************** जिन्दगी गीत है गुनगुनाता हूँ मैं,धड़कनों की मधुर धुन सजाता हूँ मैं।दूर रहकर दिलों को मिलाता हूँ मैं,गीत से ही सभी को लुभाता हूँ…
गुरुदीन वर्मा ‘आज़ाद’बारां (राजस्थान)******************************** करो नहीं बर्बाद तुम,ऐसे इस रोटी को।मानो सच भगवान तुम,यारों इस रोटी को॥ इतनी मेहनत यह इंसान,करता है किसके लिए,इतनी दुआयें ईश्वर से हम,करते हैं किसके…
आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* आयी सुंदर आज देख लो,रंग भरी ये होली।रंग भरी पिचकारी ले लो,आओ रे हमजोली॥ छेड़ो सब जन साज नगाड़ा,गाओ मिल-जुल गाना,बिछा रहे रंगोली जैसे,मौसम लगे सुहाना।मीठी…
माया मालवेन्द्र बदेकाउज्जैन (मध्यप्रदेश)********************************** रंग और हम(होली स्पर्धा विशेष )… आजा आजा रे साँवरिया,हम तो होली खेलेंगे।होली खेलेंगे ओ कान्हा,तेरे संग फाग खेलेंगे॥ बरसाने की गुजरी,बन-ठन कर जब आयेगी,ललिता सखी…
हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** रंग और हम(होली स्पर्धा विशेष )… रंग और हम,कितना सज के रहते हैं…हो…होली के रंगों से…होली के रंगों से…।भीगती हर चोली,चुनरिया होली में… हो…होली…