ग्रीष्म ऋतु आई
डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचना शिल्प:१६ -१६ मात्रा… गया बसंत, ग्रीष्म ऋतु आई।तपती धूप संग में लाई॥सूखी धरती घास फूस अब।जल के स्रोत कुँए धारे सब॥ प्यासी चिड़िया, कौए, चातक।जाते सरोवरों के तट तक॥वृक्ष वनस्पति सब मुरझाए।वन उपवन सब आग समाए॥ त्राहि-त्राहि कर प्राणी सारे।दूर भागते डर के मारे॥शरण गाँव की दौड़े आते।जीवन अपना यहाँ … Read more