ग्रीष्म ऋतु आई

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचना शिल्प:१६ -१६ मात्रा… गया बसंत, ग्रीष्म ऋतु आई।तपती धूप संग में लाई॥सूखी धरती घास फूस अब।जल के स्रोत कुँए धारे सब॥ प्यासी चिड़िया, कौए, चातक।जाते सरोवरों के तट तक॥वृक्ष वनस्पति सब मुरझाए।वन उपवन सब आग समाए॥ त्राहि-त्राहि कर प्राणी सारे।दूर भागते डर के मारे॥शरण गाँव की दौड़े आते।जीवन अपना यहाँ … Read more

प्यार के रंग

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* जीवन सुंदर सुखमय होता।अंनर्तमन से स्वप्न पिरोता॥जिसका मन निर्मल पावन हो।रंग प्यार का मन भावन हो॥ मात पिता का प्रेम सुनहरा।स्नेह भाव का रहता पहरा॥माथ पिता को माथ नवाओ।प्रेम रंग को हृदय सजाओ॥ रिश्ता है श्रेष्ठ बहन भाई का।रंग सजे हिय करुणाई का॥मुश्किल पथ पर साथ निभाते।रंग प्रेम से सब रम … Read more

कहते अमृत आजादी को

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** ७५ बरस की आजादी का अमृत और हम सपर्धा विशेष…. पचहत्तर वर्षों से वादी।में है भारत की आजादी॥अमृत का मंथन कर लाये।प्राण लुटा कर अपने आये॥ थी वर्षों की बनी गुलामी।अपमानों की हुई सलामी॥जालिम बने रहे सब शासक।मानवता के थे वो नाशक॥ राज किया मुगलों ने पहले।शासक ब्रिटिश बने … Read more

मातृ शक्ति हिंदी

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ********************************** हिंदी दिवस विशेष…. बोलेंगे हम मिलकर हिंदी।माथे इसके लगती बिंदी॥हिन्द देश के हम हैं वासी।बनों नहीं अंग्रेजी दासी॥ अंग्रेजी को मार भगाओ।हिंदी सीखो और सिखाओ॥हिंदी को पहचान बनाओ।बच्चे-बूढ़े सभी जगाओ॥ हिंदी भाषा होती प्यारी।बोलेंगे हम जीवन सारी॥समय-समय पर बदलो भाषा।हिंदी है सबकी अभिलाषा॥ मातृ शक्ति हिंदी कहलाती।मानव की पहचान … Read more

बरसे पानी

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ********************************** रिमझिम-रिमझिम बरसे पानी।चहक उठी है चिड़िया रानी॥हरियाली पेड़ों पर छायी।डाल-डाल पर वह लहरायी॥ गलियाँ सारी सूनी रहती।रिमझिम पानी उसमें बहती॥मिट्टी की खुशबू है आती।सबके मन को वह बहलाती॥ रंग-बिरंगी तितली आती।बैठ पुष्प पर वह मुस्काती॥पुष्प रसों को वह पी जाती।जीवन में खुशियाँ बिखराती॥ पानी की बौछारें आती।सबके तन-मन को … Read more

मन

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* मन है चंचल अरु आवारा।मन ही होता सबसे न्यारा॥मन पर रखो सदैव नियंत्रण।जीवन में कर लो सब यह प्रण॥ मन होता है इन्द्रिय स्वामी।कहलाता है अन्तर्यामी॥तीव्र चाल मन की ही होती।मिले नहीं अब मन का मोती॥ मन के हारे हार सभी है।जीते मन से नहीं कभी है॥मन को जीत लिया है … Read more

पति-पत्नी का रिश्ता

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** रिश्ता पति-पत्नी का जाना। जन्म-जन्म का साथ निभाना।है अटूट यह मन का बंधन। साथ निभायें अपना जीवन॥ सदा रहें सुख-दुख में साथी।बन कर दोनों दीया-बाती॥नियम समाज धर्म का रिश्ता।नवजीवन मिलन देख हँसता॥ यह होता किस्मत का लेखा।जन्म नये रिश्तों का देखा॥दोनों मिल कर्तव्य निभाते।बच्चों को खुद सफल बनाते॥ दोहा- सिया राम … Read more

बच्चों की टोली

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ बच्चों की निकली है टोली।सबकी लगती मीठी बोली॥खेल खेलते बच्चे सारे।सुंदर-सुंदर प्यारे प्यारे॥ मैदानों में दौड़ लगाते।आगे-पीछे सभी भगाते॥मस्ती करते मिलकर बच्चे।सदा बोलते हैं वे सच्चे॥ बाग-बग़ीचे घूमने जाते।ताजा-ताजा फल हैं खाते॥सुबह-सुबह सब दौड़ लगाते।सब शरीर को स्वस्थ बनाते॥ खट्टी-मीठी करते बातें।साथ एक-दूजे के खाते॥पढ़ते-लिखते शाला जाते।गीत-कहानी रोज सुनाते॥

बिना प्रेम जग सूना

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. बिना प्रेम के ये जग सूना।मिले प्रेम से ही सुख दूना॥प्रेमामृत रस पान जो करे।जीवन के सारे कष्ट हरे॥ प्रेम तपस्या जीवन पूजा।प्रेम ईश का नाम है दूजा॥स्वारथ इसमें कभी न होता।प्रेम पयोधि लगाये गोता॥ राह प्रेम की जो अपनाता।जीवन में खुशियाँ वो पाता॥प्रेम सदा विश्वास … Read more

जीवन तो बस पेड़ जहाँ है

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* पर्यावरण दिवस विशेष….. आक्सीजन की मारा मारी। जीवन पर पड़ता है भारी।मानुष का नित रोना-धोना। दुश्मन बनता ये कोरोना॥ लोभ मोह निज हृदय बसाता। वृक्ष काटकर सुख को पाता।उजड़े देखो जंगल झाड़ी। कौन लगाता है अब बाड़ी॥ जीवन तो बस पेड़ जहाँ है। आक्सीजन बस मिले वहाँ है।आज सबक जन को … Read more