सबसे न्यारा परिवार

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************** घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… सबसे न्यारा सबसे प्यारा,मेरा यह परिवार।मंदिर जैसा पावन सुन्दर,लगता है घर द्वार॥ मातु-पिता की छाया हम पर,अरु मिलता है साथ।ये तो हैं…

Comments Off on सबसे न्यारा परिवार

सुख रहे घर-परिवार से

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष…… साथ घर-परिवार के रह सर्वदा।पीर होती,काम आते हैं सदा। सत्य ही तो एक बस आधार है।प्रेम बसता है जहाँ परिवार है॥ आस है…

Comments Off on सुख रहे घर-परिवार से

घर-परिवार से मिलती इक पहचान

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* घर-परिवार स्पर्धा विशेष...... रचना शिल्प-१३/१३सबको जीवन में खुशी,देता घर-परिवार है।बिन इसके मिलता नहीं,सपनों को आकार है॥ रहता जो परिवार में,वह पाता संस्कार है।मिट जाते दु:ख-दर्द भी,मिलता…

Comments Off on घर-परिवार से मिलती इक पहचान

मन्दिर-मस्जिद बंद पड़े

बोधन राम निषाद राज 'विनायक'कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************ मन्दिर-मस्जिद बंद पड़े हैं,मदिरालय गरमाया है।रिश्ते-नाते टूट रहे हैं,कैसा दिन अब आया है॥ आज अकेला हर मानव है,जाने क्या होने वाला।गम की चिंता दूर…

Comments Off on मन्दिर-मस्जिद बंद पड़े

अब छोड़ निराशा

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** रचना शिल्प-१४ मात्रा ३ चौकल + २... हताश निराश बैठा क्यों,कंटक कटेगा धीर' न खो'जीवन प्रसून खिलने दो,किसलय सुगंधि मिलने दो! बहार आने वाली है,छँटती बदली काली है,हँसते…

Comments Off on अब छोड़ निराशा

माँ करुणा की मूर्ति

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* ज्ञानी गंगा है कहे,जिसको जग संसार।निर्मल ममता बाँटती,मातु हृदय का सार॥मातु हृदय का-सार ज्ञान वो,प्रथम सिखाती।देती शिक्षा,सही-गलत की,राह बताती॥'आशा' कहती,इस जगती में,बढ़कर दानी।सदा रही है,सदा रहेगी,माँ…

Comments Off on माँ करुणा की मूर्ति

जग के स्वामी कष्ट हरौ

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचनाशिल्प:३२ मात्रा,१०,८,८,६ पर यति,चरणांत गुरु। हे जग के स्वामी,अंतर्यामी,तेरी अद्भुत,माया है।हे दीनदयाला,भक्त कृपाला,तेरी ही सब,छाया है॥सब जग हितकारी,कष्ट विदारी,नाथ दयानिधि,हे प्रभुजी।जग कष्ट हरो हरि,दीनन सुधि धरि,हे…

Comments Off on जग के स्वामी कष्ट हरौ

अब हर लो सारे पापों को

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* यह कैसा कोरोना आया,ले जा रहा इक साथ में,करता है भयभीत सभी को,कुछ न रह जाता हाथ में। मिलना अभी गुनाह हो गया,हाथ मिलाया नहीं गया,कैसा ये…

Comments Off on अब हर लो सारे पापों को

गम छँट जाएँगे

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************ सुनों साथियों रखो हौंसला,बादल गम छँट जाएँगे।इक दिन तेरे ही आँगन में,सुख सूरज चमकाएँगे॥ धीरज मन में धारण करके,कार्य हमें सब करना है।मौत कभी क्या…

Comments Off on गम छँट जाएँगे

महारोग

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचनाशिल्प:२२११ २२११ २२११ २२ लाचार बड़ा आज महा रोग डराए।सोचे कि सभी रोग भरी मौत हराए॥संकट बहुत बड़ा इसको आज भगाएं।सारे जग में साथ सभी लोग…

Comments Off on महारोग