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सबसे न्यारा परिवार

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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घर-परिवार स्पर्धा विशेष……

सबसे न्यारा सबसे प्यारा,
मेरा यह परिवार।
मंदिर जैसा पावन सुन्दर,
लगता है घर द्वार॥

मातु-पिता की छाया हम पर,
अरु मिलता है साथ।
ये तो हैं भगवान बराबर,
सर पर रखते हाथ॥
दु:ख का साया कभी न पड़ता,
सुखमय-सा संसार।
सबसे न्यारा सबसे प्यारा…

घर में पत्नी लक्ष्मी जैसी,
रिश्तों की पहचान।
पूजा सबकी करती है वो,
कभी नहीं अभिमान॥
द्वेष भावना नहीं किसी से,
रखती सम व्यवहार।
सबसे न्यारा सबसे प्यारा…

दादा-दादी बच्चे मिलकर,
सभी खेलते खेल।
प्यार लुटाते हैं मिल सबसे,
लगे न घर यह जेल॥
सदा बरसता है फूलों-सा,
इक-दूजे का प्यार।
सबसे न्यारा सबसे प्यारा…॥

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