समाज निर्माण में कला की महती भूमिका

प्रो. लक्ष्मी यादवमुम्बई (महाराष्ट्र)**************************************** यह जीवन एक रंगमंच है। यहाँ हर एक व्यक्ति कलाकार है, जो अपनी अलग-अलग भूमिका अदा करता है। जीवन जीना भी एक कला है। प्रत्येक मनुष्य के भीतर एक कला छिपी होती है। कला मानव जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। यह न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह हमारी … Read more

‘कला’ सशक्त माध्यम है दुनिया को खूबसूरत बनाने का

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** ‘विश्व कला दिवस’ (१५ अप्रैल) विशेष… कला जीवन को रचनात्मक, सृजनात्मक, नवीन और आनंदमय बनाने की साधना है। कला के बिना जीवन का आनंद फीका-अधूरा है। कला केवल एक भौतिक वस्तु नहीं है, जिसे कोई बनाता है; बल्कि यह एक भावना है जो कलाकारों और उन लोगों को खुशी व आनंद देती … Read more

बारिश में तालाब क्यों बनते शहर

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** खाली जगह में निरंतर कमी होने का कारण है कि शहर के आस-पास जो जल निकाय है, उन पर या तो अतिक्रमण हो गया है या उनमें इतनी ज्यादा गाद जमा हो गई है कि जितनी बारिश होती है, उसको समाहित करने के लिए उनमें जगह ही नहीं बचती और वह पानी … Read more

लघुकथाओं का सामाजिक दृष्टिकोण

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** जब ओडिशा के एक कथाकार मित्र ने मुझे यह खुले मन से कहा -“हिन्दी में लघुकथाएँ प्रामाणिक एवं प्रभावी ढंग से लिखी जा रही है। उड़िया भाषा में हिन्दी की लघुकथाओं का अनुवाद हो रहा है, इससे लगता है कि हिन्दी की लघुकथाओं ने बहुत प्रगति की है” तो मुझे भी … Read more

‘साजा’ जैसे त्योहार अमूल्य संस्कृति

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** भारतीय किसान के जीवन का आधार प्रकृति के साथ ही है। उसके सभी त्योहार उत्सव, हर्ष, उल्लास प्रकृति पर निर्भर है। किसान का नाचना-गाना प्रकृति के संग होता है। खेतों के सारे काम बुआई, निराई, गुड़ाई, सिंचाई ‌ मौसम के अनुसार किए जाते हैं। इसी सिलसिले में जब प्रकृति में … Read more

‘साजा’ जैसे त्योहार अमूल्य संस्कृति व धरोहर

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** भारतीय किसान के जीवन का आधार प्रकृति के साथ ही है। उसके सभी त्योहार उत्सव, हर्ष, उल्लास प्रकृति पर निर्भर है। किसान का नाचना-गाना प्रकृति के संग होता है। खेतों के सारे काम बुआई, निराई, गुड़ाई, सिंचाई ‌ मौसम के अनुसार किए जाते हैं। इसी सिलसिले में जब प्रकृति में … Read more

राणा के बहाने पाकिस्तानी मंसूबे बेनकाब करना जरूरी

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** मुम्बई में भीषण एवं दर्दनाक आतंकी हमले की साजिश रचने और उसे अंजाम देने में सक्रिय रूप से शामिल रहने वाले पाकिस्तान मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत लाया जाना किसी उपलब्धि से कम नहीं है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कूटनीतिक जीत एवं भारत की कानून … Read more

सहयोग की भावना विकसित करें

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* आज हम इक्कीसवीं शताब्दी के रजत काल में जी रहे हैं।भौतिकता की भागम-भाग में पूरी दुनिया फंसी हुई है। रिश्ते-नाते, अपनापन सब भौतिक सत्ता पद धन वैभव की मृगतृष्णा में फँस तौले जा रहे हैं। निर्धारक बन स्वार्थपन ही नव अनुबन्धों और पारिवारिक अस्तित्व को परिभाषित और रूपांकित कर … Read more

चलें प्रकृति की ओर…

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)****************************** मित्रों, इन दिनों हम यहाँ गाँव की खेती में किसानी परिवेश में प्रकृति के संग मन-मुराद जी रहे हैं। प्रकृति की लय से लय मिलाने में वाकई कितना आनंद है। यहाँ का दिन भारद्वाज, कोयलिया, मैना और चिड़ियाओं की मिली- जुली सरगम के साथ शुरू होता है। प्राची पर उठती रंगोलियाँ, … Read more

रिश्ते सहेजने में ही सच्ची खुशी

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ यदि सच में खुशी चाहते हैं तो अपने रिश्तों को सहेजें। हम सभी अपने पूरे जीवन खुश रहना चाहते हैं और खुश रहने के लिए ही पैसा कमा कर सुख-सुविधा और ऐशो-आराम की चीजें इकट्ठी करते रहते हैं, लेकिन क्या खुशी को केवल पैसों से आप खरीद सकते हैं…? नहीं न…! पहले … Read more