शब्दों से रची है ज़िंदगी
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* शब्दों से रची है ज़िंदगी, सोच समझ कर खुद पर ढालो।सुखद शान्ति सद्भाव परस्पर, मुख मीठी मुस्कान सम्भालो॥ फँसों नहीँ तुम शब्द जाल में, शब्द बाण दुख स्वयं बचा लो।शब्दों से यह रची ज़िंदगी, विनय शील सद्कर्म निभा लो॥ पौरुष यश महके सदा यतन, वतन प्रगति मुस्कान सजा लो।खिले … Read more