योग करें

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** नित उठें सबेरे योग करेंतन-मन से आलस दूर करें,यदि नियमित योग करेंगे हमरोगों से मुक्त रहेंगे हम। बच्चा, बूढ़ा हो या जवानसब सीख योग बनें बलवान,यदि अभी…

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आना-जाना लगा रहता

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ ये दुनिया जहान का मेला,लगा हुआ है संसार मेंकोई साथी नहीं है यहाँ तेरा,क्योंकि आना-जाना लगा रहता है…। ज़िन्दगी की डोर कब टूट जाए,पता ही…

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मेरी खिड़की पर आ जा तितली

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मेरी खिड़की पर आ जा तितली, सतरंगी मधुरिम उड़ान हैखुशियाँ सुख मुस्कानों भर दे, सत्य प्रकाशित नव विहान हैमनमानी करती उड़ती चहुँ खोल पंख…

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कल्पकथा की काव्य गोष्ठी में हास्य-श्रृंगार की रसधारा

सोनीपत (हरियाणा)। हिन्दी भाषा एवं सद्‌साहित्य के संवर्धन हेतु कृतसंकल्पित कल्पकथा साहित्य संस्था की २०२वीं काव्य गोष्ठी २२ जून को हर्षोल्लास से हुई। इसमें हास्य-व्यंग्य एवं श्रृंगार रस की सरस…

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बरखा बहार

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** बरखा बहार,कर हरियाली का श्रृंगारकड़कड़ाती बिजली,डराती पंछियों कोनाचता मोर निडर होकर,कर रहा स्वागतइंद्रधनुष का,जो बादल के बीच सेनाचते मोर को दे रहा हौसला। आम के झुरमुट…

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बड़ी अदालत ईश की

डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’बांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* बड़ी अदालत ईश की, मिले जहाँ पर न्याय।चूक नहीं होती वहाँ, लगे न कोई हाय॥ न्याय माँगने के लिए, वादी करता वाद।मन में इक आशा…

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फूलों की महक

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* रंग-बिरंगे फूल खिले हैं,कितने प्यारे फूल खिले हैंखिले हैं फूल महकते हुए,ताज़ा हैं फूल बिखरे हुए। मुस्कुराकर खिलते हैं फूल,इठलाकर खिल उठे हैं फूलनन्हे से फूल…

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कहने को व्याकुल

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* सतहों पर खामोशी हैपर मन में कितना शोर है,चुप-चुप सी लगती दीवारें…अंदर की बात और है। कहने को व्याकुल-सी खटियाकरती चरमर दिन-रात है,आजू-बाजू से निकल रहे…पर…

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बस अच्छे इंसान बनो

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** अच्छे इंसान बनो,बस विद्वान बनो। कभी ना लड़ना,बस आगे बढ़ना। होना खूब सफल,तभी सुनहरा कल। सबको उम्मीद तुमसे,गिरना ना डगर से। तुम्हीं भविष्य कल का,अच्छे काम…

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बेचैनी क्यों…?

ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* बेचैनी क्यों है इतनी,जब हर समस्या का हल है। आज परेशान हो जितना,उतनी ही खुशियाँ कल है। सुख-दुःख है आना-जाना,यही सत्य अटल है। चिंताओं में गुम ना…

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