माता का जगराता

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* कितना पावन पर्व है, नवरातोंं का आज सुनो सब,शुभ-मंगलमय हो रहा, देखो आज समाज सुनो सबजगदम्बे तो कर रहीं, हर दिल पर अब राज जान लो,भजन-आरती, वंदना, बजें भक्ति के साज़ मान लोहरदय सुख का दाता, माता का जगराता,पावन रूप सुहाता, माता का जगराता‌। शैलपुत्री माँ हैं प्रथम, पुत्री पर्वतराज सुहातीं,प्रथम … Read more

पुरखे हमारे पूज्य हैं

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ श्राद्ध, श्रद्धा और हम (पितृपक्ष विशेष)… हिंदू पंचाँग के अनुसार,माह में होते हैं २ पखवारेआश्विन (क्वाँर) शुक्ल पक्ष में,पितृ पक्ष भी एक पखवारा हैजो वर्ष में एक बार ही आता है। पूर्णिमा से अमावस्या तक,अपने पूर्वजों को स्मरण करने काविधान हमारे पुरखों ने खूब बनाया है,जिसके कारण हम सभी उनकोआज भी करते … Read more

जीवन एक संगीत

urmila-kumari

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** जीवन एक मधुर संगीत की तरह होता है,कभी उदासी-सा तो कभी गमगीन होता है…। शब्दों का अंतर है, वो कहाँ से कहाँ सफ़र करता है,शब्दों के अंतर जाल में फंसकर, एक लगाव हो जाता है…। दर्द मिले या खुशी, सभी का अनुभव हो जाता है,उसी पथ पर खुद को अग्रसर … Read more

वेदों की वाणी की दुहिता

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** वेदों की वाणी की दुहिताशब्दों का भंडार लिए,तत्सम,सद्भव संग-साथ में-रस-छंदों का प्यार लिए । लोकोक्ति संग सजी पंक्तियाँअलंकार का ज्ञान लिए,लिपि हैं इसकी देवनागरी-उच्चारण को साथ लिए। नवरस से शोभित है हिंदीभावों का संज्ञान लिए,अक्षर-अक्षर बढ़ती जाती-भारत की पहचान लिए। आन-बान और शान देश की,तुलसी की पहचान लिए।राष्ट्र-वंदना करती हिंदी,देवनागरी साथ लिए॥

होनी कभी न टाली जाती

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************* झूठ बात कहती यह दुनिया,होनी कभी न टाली जातीश्रम लगन मिथ्या कर देतायुक्ति बुद्धि नहीं खाली जाती। जो लोग हताश पराजित हों,सभी को करते हतोत्साहितपर अपना कर्म किए जाना,आलस से खुशहाली जाती। जो स्वयं का सहयोग करता,कभी चुनौतियों से न डरतासाहस से बाधा को बेधे,तभी बजाई ताली जाती। प्लावन करे विचारामृत से,शुभ … Read more

माँ चंद्रघंटा-३

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** ललाट सुशोभित अर्ध शशि,दश भुजाएं है आयुध धारीतृतीय माँ चंद्रघंटा रणचंडी,आद्यशक्ति, जगकृपाकारी। घंटा नाद गुंजित हो जब-जब,थर-थर कांपे दानव दुराचारीभयहरण करती माँ तब-तब,देती अभयदान माँ उपकारी। तेजोमय मुखड़ा सूर्य से प्रखर,आलौकिक, भव्य, बलधारी।साधकों की सब बाधा हरती,शीतल रम्यता कल्याणकारी। सिंह वाहिनी ज्यों प्रचंड वेगिनी,त्रिलोक के पापी थर-थर थर्राएंमाँ सृजनी, … Read more

साहित्य के शौर्य ‘दिनकर’

आचार्य संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )****************************************************** राम नाम धारी, हिन्दी प्रभारी वो,हिन्दी साहित्य के शौर्य पुरुष वोउदित नवल दिव्य महा सूर्य वो,बेगूसराय सिमरिया जन्म भूमि वोमहा कवि थे, ओज महान वो। आधुनिक काल के राष्ट्र कवि,प्रगतिवाद, राष्ट्रवाद के मुखर कविकुरुक्षेत्र, हाहाकार, हुँकार जाने सभी,साहित्य अकादमी, पदम् विभूषण, ज्ञान पीठ पाए तभीनिर्भीक, स्वतंत्र कवि पाया सांसद … Read more

वो किरदार हूँ मैं…

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** ना समझने कीकिसी ने कोशिश की,ऐसा चपटा पत्थर हूँ मैं-वो किरदार हूँ मैं…। मुझ पर अनर्गलबहस खूब छिड़ी,फिर भी नाकाम सिद्ध हुई-वो किरदार हूँ मैं…। मेरी नजर मेंसब अच्छा किया,फिर भी गुनहगार साबित किया-वो किरदार हूँ मैं…। मैं तूफानों-सीइच्छा शक्ति रखती हूँअसंख्य विचारों को कैद रखती हूँ-वो किरदार हूँ मैं…। अपनी काबिलियत … Read more

माँ चंद्रघंटा देवी अवतरण

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मातु चन्द्रघंटा शिवा, तृतीय दिवस महान।सिंहवाहिनी चन्द्रिके, महिमा मंडन गान॥ महिषासुर आतंक से, देवलोक भयभीत।देवों ने मांगी मदद, विधि शिव विष्णु विनीत॥ पीड़ कथा सुन देव की, त्रिदेव हुए अतिक्रुद्ध।त्रिदेव तेज उर्जा प्रकट, देवी अनुपम शुद्ध॥ अर्धचन्द्र माँ भाल पर, शुभ घण्टा आकार।माँ चंद्रघण्टा अवतरण,महिषासुर संहार॥ शिव त्रिशूल हरि … Read more

फूलों की बगिया

urmila-kumari

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** वादियाँ ही रंग-बिरंगे फूलों से सजी, महकती सुबह है…,पंछियों की मधुर मीठी तान से वो सुशोभित सी है…। बंद कलियों की भी खुद की अपनी एक मुस्कान है…,सुनहरी धूप में खिलकर अंगड़ाइयाँ लेना भी एक कला है…। जीवन में हार ना मानना, आगे बढ़कर कुछ हासिल करना है…,कलियों से सीख … Read more