तेरे बिन जिया न लगे

urmila-kumari

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** तू मेरा आसमां है, तू मेरा है जुनून,तेरे बिना जिया न लगे, कैसा जुनून ? आत्मा का दिल से यह मधुर मिलन,यादें तेरी घुली है जैसे दूध जल मिलन। खामोश निगाहें तुझसे पूछ रही प्रश्न,अब के बिछड़ों का फिर कब है मिलन! रोम-रोम प्यार बसाकर, छोड़ चल दिए,‘आऊंगा जरूर पुनः’ … Read more

मित्रता एक पर्याय

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** मित्रता-ज़िंदगी……… मित्रता ज़िंदगी का खूबसूरत हिस्सा है,मित्रता खामोशियों की भाषा है। मित्रता सच्ची अभिलाषा है,मित्रता करती दूर निराशा है। मित्रता ज़िंदगी की परिभाषा है,बेमिसाल रिश्ते की आशा है। तप्त हृदय को सरसता देती है,मन को भी यह बहला देती है। अँधेरा भी रोशनी बन जाता है,मेरी परछाई भी बन जाता है। हर … Read more

तुझको बैर क्यूँ…?

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* माना तू मेरी जान हैमेरे दिल का अरमान है,पर माँ से तुझको बैर क्यूँ ?माँ तो मेरा ईमान है। मैं माँ के दिल का टुकड़ा हूँनहीं आसमान से टपका हूँबिन तेरे तो मैं जी लूंगाकुछ ठंडी आहें भर लूंगा। पर माँ ये सह ना पाएगीवह जीते-जी मर जाएगी,बेदर्दी, जा तू भूल … Read more

प्रज्ञा

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************* प्रज्ञान्मोमुख एक लौ शिखा,निकली जग आलोकित करनेकाले-काले ध्रीष्ट धूम्र ने,तमपाश कसा कलंकित करने। थी प्रज्जवलिका ज्ञान पथ पर,तमस के मन को यह न भायाअत्याचार निर्दोष पर कर,आरोप मढ़ कटघरे लाया। कोई मानवाधिकार न था,थी न नारीवादी दुहाईआग यंत्रणा पहन निर्भया,आँधी रश्मि की बिखराई। कालिख धुम्र परास्त हुआ पर,लूट गयी प्रज्ञा तरुणाई।अब अन्यायी … Read more

मिटे तिमिर मन से

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* सावन मनभावन सरस, विश्वनाथ शिवधाम।मिटे तिमिर मन सत्य से, शिवप्रकाश अविराम॥ अन्तर्मन की हर व्यथा, करें भाव उद्रेक।सत्य कठिन प्रकटीकरण, रखो सोच हिय नेक॥ सत्य कथन अरु श्रवण भी, सहन कठिन संसार।पीड़ हृदय नयनाश्रु से, स्वयं प्रकाशित सार॥ मन ही मन पीड़ा सहन, अन्तर्दहन विशाल।श्रेष्ठ क्लेश बहि उत्सृजन, अन्तर्नाद … Read more

फैशन के रंग

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ फैशन के इस सागर में,राह नहीं मिल रही हैतभी तो पश्चिमी सभ्यता कोहमने अपना लियायही है फैशन के रंग। रंग बदलती इस दुनिया में,यहाँ क्या-क्या हो रहा है ?एक और जद्दोजहद करते हम,दूसरी और फैशन के यह रंग। हमारी संस्कृति में दुनिया के,यह विभिन्न रंगकहीं धूप, कहीं छाँव का यह … Read more

मन शिव पुकारे

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’सहारनपुर (उप्र)************************************************** सावन बरस रहा मेरे द्वारे।लगन लगी मन शिव को पुकारे॥ कड़क रही है ‌बिजुरी ऐसे,तड़प रही ‌मैं बिरहन जैसे।काल की गणना साँस-साँस में,अब तो पधारो द्वार हमारे।लगन लगी मन…॥ जब से खेल माया पहचाना,मन से कोई‌ न अपना माना।चित्त-प्राण शिव कह के व्याकुल,छिन-दिन पल-पल सांझ-सकारे।लगन लगी मन…॥ सावन बरसे … Read more

मेरा मित्र बड़ा विचित्र

ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* मेरा एक मित्र है, बड़ा ही विचित्र है,प्यारा जिसका चित्र है। सुख में, दु:ख में,हरदम साथ निभाता हैकोई भी हो परेशानी,दौड़ा चला आता हैहर बात बताता है,नई राह दिखाता हैआगे-आगे बढ़ाता है,एक पहचान दिलाता हैमेरे जीवन को महकाता है,मानों कोई इत्र है। मेरा एक मित्र है, बड़ा ही विचित्र है,प्यारा जिसका चित्र … Read more

अवनि तर भए

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** रिमझिम-रिमझिम, टपक-टपक कर,गिर-गिर जलकण, अवनि तर भए। शिखर-शिखर ढक, दुबक-दुबक कर,उज्वल-उज्वल, मलिन कुछ दिखे। नियमित-नियमित, ढरक-ढरक कण,जलद-जलद भिड़, तड़ित भय लसे। अतिथि उदित रवि, दुर्लभ-दुर्लभ दर्श,तनिक-तनिक लुप्त, कश्मकश भए। गड़बड़-गड़बड़ नभ, उदर विकृत नभ,पल-पल हसरत, प्रतिगमन करे। रश्मि-रश्मि दिनकर, लुक-छिप लुक-छिप,महफ़िल सजकर, स्वर्णिम छवि सजे। जलमय-जलमय, अधिकतम डगर,स्खलित-स्खलित पथ, अति … Read more

तेरा कन्धा ही मेरा सहारा

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* मित्रता-ज़िंदगी…. तेरा-मेरा सम्बंध ख़ून का नहीं,फिर भी तू मुझे प्यारा लगेतेरे साथ दुनियाभर की बातें करूँ,फिर भी मेरा मन न भरे। तेरे साथ छोटी-सी बात पर ठहाके मारूँ,फिर भी मुझे और हँसते रहने का मन करेजब भी मेरा मन रोने को चाहे,तेरा कंधा ही मेरा क़रीबी सहारा लगे। जब भी मेरा … Read more