पृथ्वी माँ करुणामयी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* 'विश्व पृथ्वी दिवस' विशेष... हरित भरित सुष्मित प्रकृति चारु,नद गिरि निर्झर सिन्धु समझ लोपशु विहंग धरती भरी पड़ी,अनल अनिल नभ बन्धु समझ लो। नवांकुरित…

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ये कौन-सी प्रगति…

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)****************************** साबरमती जब तुम स्व-भ्रमती थी, कैसी विहरति चलती थीयाद करो इतिहास को अपने, किन, कैसे मोड़ों पर ढलती थी। निश्चित तुम्हें याद आता होगा,कैसे स्वर्णिम पलों…

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कभी कश्मीर, कभी बंगाल…

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** कि कभी कश्मीर जलता है, कभी बंगाल जलता है,शायद, अब मेरा देश बस ऐसे ही चलता है। हमारा घर मत जलाओ, बेघर हो जाएंगे,हर घर में…

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हिम्मत रख

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** तिमिर से लड़ो ओज मिलेगा,आज नहीं, कभी तो मिलेगासाहस, डगरें, हार मिलेगी,रख धैर्य, विध्न दूर मिलेगा। दीपक बुझा, जल धैर्य देखा,हौसले सहित अंधड़ देखाकपट हँसी…

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जीवन तेरे बिना अधूरा

सौ. निशा बुधे झा ‘निशामन’जयपुर (राजस्थान)*********************************************** कल-कल करती धारा,बहे देखो! ये धाराधरा पर इसका मतलब क्या,शीतल, तन और कंठ को तृप्त करे। झर-झर बहती धारा,हिमालय से कन्याकुमारी तकभिन्न-भिन्न निकले धारा,इसको…

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ध्यान धरो राधारमण

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* राधे राधे भज मनुज, कृष्णायन अविराम।ध्यान धरो राधारमण, भज लो राधेश्याम॥ मन विकार तम मन मिटे, राधे राधे नाम।अन्तर्मन नवशक्ति दे, माधव मन अभिराम॥…

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सूखी नदियों की गुहार

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** सूरज की तपन,झुलसा रही धरती कोनदिया सूखी,पत्थर झाँक रहे नदियों सेआते-जाते लोगों के पग को,निशान बनपगडंडी कहलाने लगे। बादल गुहार कर रहे,हवा सेहमें नदियों का करना…

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खोयी सजनी सपनों में

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* खोयी-खोयी रात यौवना,चंद्रहास मुस्कान हृदय मेंरजनीगन्धा बनकर महकी,निशिकांत गुलज़ार चमन में। सप्तसिन्धु के ख्वाब गगन में,आश पास शशि मधुर मिलन मनसच्चाई शशि चंद्रिका प्रीत…

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प्राण है ‘पीपल’

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)****************************** पीपल फिर गीत गाने लगे हैं,फिजाओं के मीत होने लगे हैंएक सरगम-सी भरी पीपलों पर,पीपल अब गुनगुनाने लगे हैं। ये चैत की लू भरी हवाएँ,पत्ती-पत्तियाँ छूने…

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नव आव्हान

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* नव वर्ष है,क्या हर्ष हैनव चेतना,नव कल्पना। नव फसलें,नव अन्न हैनव भोज्य,नव परिधान हैं। नव आव्हान,नव गीत मेंनव रचना,नव रूप में। नव सृजन के,नव चित्र में।नव…

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