हरियाली छाई

urmila-kumari

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** हरियाली आई, हरियाली छाई,मौसम में वर्षा, ठंडाई फिर लाईचंहुओर धरती हरी-भरी कर गई,बंजर भूमि भी फिर थी मुस्काई। मिट्टी के कण-कण में वर्षा समाई,जल सोखकर, धरा नमी थी बढ़ाईघटते हुए जल स्तर में वृद्धि थी हुई,वर्षा रानी का, धरा पर करिश्मा भाई। वर्षा ऋतुराज में वृक्षारोपण करें भाई,अपने ही हाथों … Read more

सावन और शिव बाबा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* सावन का पावन महीना, भोलेबाबा की पूजा,श्रद्धा में भर जाओ सब, काम नहीं अब है दूजा। जल ढारो श्रद्धामय हो, भोलेबाबा का वरदान,पार्वती माँ की जय हो, सावन महीना बहुत महान। पुण्य प्रताप माह का अति, सावन की महिमा न्यारी,शुभ-मंगल होता हर पल, जानें यह सब नर-नारी। काँवड़ यात्रा बहुत महान, … Read more

अब के सावन में…

हिमांशु हाड़गेबालाघाट (मध्यप्रदेश)**************************************** अब के सावन में एक बात हो जाए-तेरे-मेरे बीच की प्रेम कहानी की शुरूआत हो जाए,तुम्हारी यादों के समंदर में खो जाऊँइस तरह मेरे प्रेम की शुरूआत हो जाए। अब के सावन में एक बात हो जाए-तुम्हारी आँखों का नूर हो जाऊँ,इस बार मेरे प्रेम की इस तरह बरसात होगी हो कितुम … Read more

सावन सुमिरन प्रिय मिलन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* आयी सावन की घटा, यौवन चढ़ी उमंग।खनके कंगन हाथ में, मिलन प्रीत नवरंग॥ रुनझुन पायल पदयुगल, पथ गूंजित चहुँओर।मतवाली मधुयामिनी, प्रिय आगम नँच मोर॥ बिंदी शोभित भाल पर, सीथ लगी सिन्दूर।उरुतल उन्नत गिरि शिखर, गजब प्रीत दस्तूर॥ पलकों में काजल लसित, बड़े नशीली नैन।सजन विरह नयनाश्रु जल, हरती निशिदिन … Read more

अपनी पहचान हूँ

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** मैं दर्पण नहीं, अपनी पहचान हूँ,मैं भीड़ का हिस्सा नहीं-एक अलग राह हूँ,जहां सौंदर्य परिभाषाओं में नहीं,अहसासों में साँस लेता है। लोग पूछते हैं-‘अब भी साड़ी ?’जैसे ये कोई पिछली सदी की बात हो,पर उन्हें क्या मालूम!हर मोड़ पर ये साड़ीमुझे मेरी जड़ों से जोड़ती है। मैं चूड़ियाँ पहनती हूँ,ना दिखावे … Read more

रिमझिम बारिश जब…

ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* रिमझिम बारिश जब आती है,धरती हरी-भरी हो जाती है। देख कर काले-काले बादल,मंद-मंद मुस्काती है। धानी चुनर ओढ़ के,दुल्हन-सी सज जाती है। जब लगे बूँदों की फुहार,सौंधी-सौंधी खुशबू आती है। ठंडी-ठंडी पवन चले जब,खेतों की फसलें लहलहाती है। आसमान में सतरंगी छटा,इंद्रधनुष दिखलाती है। झलक मिले जब धूप की,गुलनार खिल जाती है। … Read more

स्मृतियों में हम-तुम

डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ चलो…एक बार फिर स्मृतियों में,हम तुम खो जाते हैंजी लेते हैं, वो पल और लम्हें,कर लेते हैं, फिर से कुछ बातेंजो अधूरी रह गई थी कुछ ख्वाहिशें,जज़्बात, जो धुल गए थेतेरे-मेरे अश्रु से,मिट गई थी जो लकीरेंतेरी-मेरी हथेलियों से,फिर से खींचते हैं, और सींचते हैंउन सूखे पेड़ों को जिस परलिख … Read more

केवल माँ हूँ

विजयलक्ष्मी विभा प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)************************************ समझ सके तो मुझे समझ ले, मैं केवल महिमा हूँ,चाहे जैसे मुझे आजमा, मैं तो केवल माँ हूँ। हर रचना में मेरा हिस्सा,मेरी दुनिया सारीदेख धरा की मिट्टी में भी,मेरी साझेदारीटूट न सकती किसी यत्न से, मैं ऐसी प्रतिमा हूँ। चाहे धरती माता कह तू,चाहे गंगा मैया चाहेगौ माता पुकार ले,चाहे यशुदा … Read more

गर्व सदा तुम पर

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** बहा रक्त वीरों का फिर यहसेना ने दिखलाया था,दुश्मन उछल रहा था मद सेउसको यह बतलाया था। आसमान से ऊँची ताक़तरखते हैं समझाया था,हिमगिरि पर फिर जा सेना नेध्वज तिरंग फहराया था। हमें गर्व अपनी सेना परतभी सुरक्षित हम रहते,सीमा की करते रखवालीतभी चैन से हम सोते। ‘विजय दिवस’ हम सभी मनातेयाद … Read more

शीश झुकाते जोड़ें हाथ

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उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते हार ना मानी वह रानी थी,खूब लड़ी थी अपने बल पर, बलशाली वह रानी थी…। प्रजा की रक्षा की खातिर दुश्मनों को मजा चखाती थी,जीना हराम कर दिया उसने, छक्के छुड़ाती लड़ती थी…। आन-बान-शान-शौकत से उनसे दुश्मन जलते थे,चुन-चुनकर रानी ने खदेड़ा हथियार छोड़ वह भागे थे…। … Read more