राम की टोह

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)****************************** राम तुम सीमित होकर भी कितने असीमित हो,मर्यादित होकर भी कितने अमर्यादितकितने अथाह, अथांग और अपरिमित हो,कभी सगुण तो कभी निर्गुण प्रतीत होतेमन की अवस्थाओं के…

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नमन भवानी

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** सृष्टि रचयिता, आदि शक्तिपाप नाशिनी भवानीहै शत्-शत् नमन हे शिव शक्ति,कर कल्याण हे कल्याणी। दुर्गा अखिल दुर्गति नाशिनी,सद्गति दे गति ‌प्रदायिनीगौरी, अखिल दुर्गुण नाशिनी,सामर्थ्य शक्ति…

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चंद्रघंटा माता नमन

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* दिवस तीसरा तापमय, करता है कल्याण।मातु चंद्रघंटा नमन्, जो पापों पर बाण॥ लाल रंग भाता जिन्हें, अति भाती है खीर।माता करतीं दूर नित, हम भक्तों की…

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संसार है कैसा…!

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** यह संसार है कैसा,देखते हैं हम जैसाया सोंचते हैं वैसा,संसार है कैसा ? मिला एक किसान से,बताया वह ईमान सेसंसार है कर्म का घर,कर्म से…

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‘रामायण’ वरदान

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* धरती को मिला वरदान है,आदर्श जीवन का गान हैहे तुलसी… तेरी रामायण,पारिवारिक जीवन की शान है। हीरे-पन्ने सी यह गाथा,पावन जीवन बनाती हैघर-घर गूँजे कथा-वचन,रिश्तों का…

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प्रेम कहानी

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** तेरी-मेरी प्रेम कहानी,न मैं राजा, न तू रानीप्रेम की बातें तो,तेरे-मेरे बीच दिल ने ही जानी। प्रेम होता खुशबू की तरह,ये बातें दुनिया ने मानी।प्रेम बिना…

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तुमको प्यार हो तो…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* तुमको प्यार हो तो हालात कह दो खुल के।हमको सुख मिलेगा जज्बात सुन के दिल के॥ दिल के आइने में तस्वीर बन के रहती,जिससे प्यार…

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प्रतिक्रिया-एक लेखकीय मौन

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ सम्मान मिलने पर... भीड़ है घर पर-शुभेच्छुओं की, पत्रकारों की,सजदे में झुके माइक पूछ रहे हैं-“आपको कैसा लगा ?”प्रश्न…

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सजा हुआ उद्यान

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** नया वर्ष नवरात्रि आगमन,माता से विनती करतीऐसा भारत बने हमारा,मन में यह इच्छा रखती। हर ग़रीब के मुख में रोटी,तन पर वस्त्र, बसेरा होछोटे-बड़े सभी जन खुश…

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इतना क्यों गुमान…?

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* कोई है क्या जग बड़ा ईश से,फिर भी इतना क्यों गुमान है ?कहाँ जन्म हो मौत अनिश्चित,तेरी ताकत इस जहान है। नाशवान सुख भौतिक…

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