जन-दर्द की थे आवाज़

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** मुंशी प्रेमचंद जयंती विशेष… कलम के सिपाही, किया शब्दों से राज,जन-जन के दर्द की जो थे आवाज़। ‘गोदान’ की पीड़ा, ‘गबन’ की टीस,हर पंक्ति में बताई जीवन की रीत। ‘कफन’ में लिपटी समाज की सच्चाई,‘नमक का दरोगा’ ने ईमानदारी जगाई। ‘ईदगाह’ के हामिद में साहस था गहरा,लोहे के चिमटे से वो … Read more

पावस की अमृत बूँद

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* कभी-कभी इन उलझनों,से दूर होने को जी करता हैइस बंजर ज़िंदगी में,हरी-भरी चुनर ओढ़े धरती सेखुशियों की फुहार जब बरसती है। रिमझिम फुहारों की दस्तक मिलते ही,मन हरा-भरा खिलने लगता हैबदरा जब गगन में अठखेलियाँ करे,पावस के गीत होठों पर मधुर सजेपायल की रुन-झुन खनक सुनाई पड़े। हरी-हरी कंगन हाथों में … Read more

जीवों से रखें अनुराग

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* नागपंचमी पर्व का, सुंदर बहुत विधान।संस्कारों की देह में, नैतिकता के प्रान॥ नाग पूजकर पुण्य ले, खुश होते हैं ईश।मिले प्रकृति का साथ नित, मिलता है आशीष॥ नाग जीव सादा-सरल, जीने का अधिकार।जब तक छेड़ो मत उसे, देता नहिं फुंफकार॥ दूध पिला पूजन करो, वंदित हो अब नाग।सब जीवों से हम … Read more

न दे पाए कोई आकार

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* एक चित्रकार हाेते हुए भी,तुम न दे पाए-चित्र काे काेई आकार। तूलिका से रंग भरते-भरते,बिखर गया है तेरा सारा रंग-फिर भी तुम रंग भरते जाते हाे। शायद,इनसे बने जाे रुप-उसकी है तुम्हें तलाश। चित्र एक जीवन है,इसमें भी है उमंगाें का-उतार-चढ़ाव। कुछ बनना-कुछ बिखरना,मुस्कराहट संग पीड़ा का सैलाब-इसमें भी प्रणय … Read more

माँ के लाड़ले

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* शिक्षा पाने घर से बहुत दूर रहते हैं,माँ के लाड़ले कितने प्रेशर में जीते हैं‘मम्मी-मम्मी’ कह पीछे घूमने वाले,कई बार खाली पेट दिन गुज़ार देते हैं। कपड़े, उठाना, धरना सीखते हैं,सारी व्यवस्था खुद ही देखते हैंकभी धोबी से, कभी बाई से उलझ,धीरे-धीरे गृहस्थी सजाना सीखते हैं। पढ़ाई के बाद जॉब के … Read more

भज मन रघुवर

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** भज मन रघुवर, भज मन सिय वर,भज त्रिभुवन पति, बुजदिल मनवा। कण-कण हरि-हरि, बिन सदगुरु पथ,सुमिरन पल हरि, रट-रट रसना। तिमिर गहन प्रभु, विनय सहित प्रभु,अनुनय कर हम, हरि शरण पड़े। अनगिनत विचित्र, हिय बिन सुमिरन,मनुज बिन भजन, पल-पल फिसले। सरवर बिन जल, रघुवर बिन मन,असहज सहृदय, अवसर सुध लें। … Read more

खोज रहा है सारथ राहें

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* एक अकेला चला सत्यपथ, कार्य प्रकाशित दुनिया सारे,खोज रहा है सारथ राहें, हाथ जोड़ते जैसे हारेक्यों खोता है धीरज-साहस, रख यकीन खुद पर तू प्यारे,होता अध्वर्यु बनो स्वयम्, हो यज्ञ सफल श्रम मंत्र सहारे। रहो मौन रथ सार्थ पार्थ सम, बढ़ो सत्य पथ बिना सहारे,कौन साथ है साथ नहीं … Read more

झूला फूलों वाला

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** झूला फूलों वाला,आज बनाया हैसबके मन भाया है। सज सखियाँ सब आयीं,कुछ गोपी-ग्वालेबन राधा मन भायीं। धानी पहने चुनरी,हरी-हरी चूड़ीसिंदूरी माँग भरी। सखी एक बनी कृष्णा,राधा झूल रहीकृष्ण मिटाएं तृष्णा। हरियाली तीज मना,हर्षित सब सखियाँकजरी के गीत सुना॥

तुम आए सावन की तरह

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* तुम आएबारिश की बूँदों की तरह,तुम छाएअम्बर पर काले बादल की तरह। तुम चमकेतेज़ दामिनी की तरह,तुम गाएरिमझिम फुहारों की तरह। तुम छलकेबहती तरंगिणी की तरह,तुम बरसेघनघोर मेघों की तरह। तुम लाए,खुशहाली हरियाली की तरह।तुम आए,मेरे जीवन में सावन की तरह॥ परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में … Read more

ज़िंदगी तेरे रंग हजार

urmila-kumari

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** ज़िंदगी तेरे रंग हजार, आँखों में पानी मुख हँसी हजार,कभी दुखी मन तो कभी क्षणिक सुख मन में आए हजार…। हरियाली सावन-भादों के बादल लाए संजीवनी हजार,गर्मी के अहसास लिए पतझड़ करते देखो पेड़ हजार…। गमों की रात और दिन में हौसला बांधे खड़े पेड़ हजार,धीरज इनसे सीखो जीवन में … Read more